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Ramayan Story: शिव जी की इस बात से परेशान होकर सती ने समाप्त कर लिया था अपना जीवन, जानें फिर क्या हुआ

Ramayan Story in Hindi: दक्ष प्रजापति के यहां आयोजित यज्ञ में शिव जी के लाख मना करने के बाद भी पुत्री होने के मोह में सती जी वहां पर चली तो गईं किंतु जब वहां पर उन्होंने देखा कि शिव जी के लिए कोई स्थान ही नहीं है तो तो सती जी को हार्दिक पीड़ा हुई. उन्होंने योगाग्नि से अपने जीवन को समाप्त कर लिया.  

 
फाइल फोटो
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Shashishekhar Tripathi|Updated: Jul 16, 2022, 05:39 PM IST

Ramayan Story of Sati ji killed herself with Yoga Fire: दक्ष प्रजापति के यहां आयोजित यज्ञ में सभी देवताओं, किन्नरों और गंधर्वों को जाता देख सती जी ने शिव जी से कारण पूछा तो सती जी ने भी जाने की इच्छा व्यक्त की. शिव जी ने स्पष्ट किया कि उन्होंने न्योता तो भेजा नहीं है जबकि उन्होंने अपनी अन्य लड़कियों को बुलाया है. शिव जी ने कारण स्पष्ट किया कि दक्ष जी तो मुझसे वैर मानते हैं. उन्होंने कहा कि यदि तुम बिना बुलाए जाओगी तो तुम्हारी मान मर्यादा नहीं बचेगी. शिव जी के लाख समझाने के बाद भी सती जी ने वहां जाने की इच्छा व्यक्त की तो शिव जी ने कुछ गणों के साथ उन्हें भेज दिया. यज्ञ स्थल पर

शिव जी के लिए स्थान न देख और उनका कोई स्वागत सत्कार न होने पर सती जी की घोर पीड़ा हुई. हालांकि उनकी मां ने कई प्रकार से सती को समझाने का प्रयास किया किंतु सती जी शिव जी अपमान नहीं सह सकीं.

क्रोधित सती जी ने सभा को संबोधित किया

शिव जी के अपमान से सती जी का हृदय जल उठा. वह क्रोध में सभा को संबोधित करते हुए बोलीं, हे सभासदों और मुनीश्वरों, जिन लोगों ने शिव जी की निंदा की या सुनी है. उन सबको उसका फल तुरंत ही मिलेगा और मेरे पिता दक्ष भी भली भांति  पछताएंगे. जहां पर संत, शिव जी और विष्णु भगवान की निंदा सुनी जाए, वहां के बारे में ऐसी मर्यादा है कि निंदा करने वाले की जीभ काट ली जाए नहीं तो कान मूंद कर वहां से भाग जाया जाए.

भगवान महेश्वर तो जगत की आत्मा हैं

दक्ष कुमारी सती जी ने कहा कि त्रिपुर दैत्य को मारने वाले भगवान महेश्वर संपूर्ण जगत की आत्मा हैं, वे जगत पिता और सबका हित करने वाले हैं. यह दुर्भाग्य है कि मेरे मंद बुद्धि पिता उनकी निंदा करते हैं और मेरा यह शरीर उन्हीं से उत्पन्न हुआ है. इसलिए चंद्रमा को ललाट पर  धारण करने वाले वृषकेतु शिव जी को हृदय में धारण करके मैं यह शरीर तुरंत ही छोड़ दूंगी. ऐसी घोषणा करते हुए सती जी ने योगाग्नि में अपने शरीर को भस्म कर डाला. उस यज्ञ सभा में इस अप्रत्याशित घटना से हाहाकार मच गया.

शिव जी को मिला सती की मृत्यु का समाचार

सती की मृत्यु की जानकारी मिलते ही सती जी के साथ आए गणों ने यज्ञ का विध्वंस करना शुरू कर दिया तो मुनीश्वर भृगु ने उसकी रक्षा की. यह सारा समाचार शिव जी को प्राप्त हुआ तो उन्होंने क्रोधित होकर वीरभद्र को भेजा. उन्होंने पहुंचते ही यज्ञ का विध्वंश कर डाला और सभी देवताओं को यथोचित दंड दिया.

 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

 

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