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माता कैकेयी ने राजा दशरथ से मांग लिए ये वचन, खुद अचंभे में पड़ गए महाराज; राम कथा में जानिए...

Ramayan Story in Hindi: कैकेयी के दो वर मांगने पर राजा दशरथ पहले तो बहुत ही असहज हो गए और कोई रास्ता ही न दिखा. फिर मन ही विचार कर कैकेयी से बोले कि तुम दुखी न हो मैं कल सुबह ही भरत को ननिहाल से बुलवाकर राज्य सौंप दूंगा.

माता कैकेयी ने राजा दशरथ से मांग लिए ये वचन, खुद अचंभे में पड़ गए महाराज; राम कथा में जानिए...
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Shashishekhar Tripathi|Updated: Aug 23, 2022, 04:38 PM IST

Ramayan Story: प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक की तैयारियों के बीच रानी कैकेयी ने महाराजा दशरथ से पहले वर में भरत का राजतिलक और दूसरे वर में तपस्वी के वेश में उदासीन भाव में राम चौदह वर्ष तक वनवास की मांग की. रानी के मुख से दोनों वरों को सुनकर राजा सहम गए. उनके चेहरे का रंग ही जैसे उजड़ गया हो. महाराजा दशरथ माथे पर हाथ रख कर और दोनों आंखें बंद कर सोचने लगे कि कल्पवृक्ष फूल कर तैयार हुआ ही है कि रानी कैकेयी ने हथिनी के रूप में उसे जड़ समेत ही उखाड़ दिया है. राजा मन ही मन न जाने किस तरह के विचार करने लगे किंतु उनके मुख से कोई शब्द नहीं निकले.

राजा के दुखी होते ही रानी बोली, वर न देकर आप अपयश का मार्ग चुन लीजिए

राजा का यह हाल देख कर रानी कैकेयी बुरी तरह क्रोधित हो कर बोलीं, क्या भरत आपके पुत्र नहीं हैं, क्या मैं आपकी विवाहिता पत्नी नहीं हूं, क्या आप मुझे मूल्य देकर खरीद कर लाए थे, मेरा वचन सुनते ही आपको बाण सा लग गया तो आप सोच समझ कर बात क्यों नहीं कहते. यदि आप हां नहीं कहना चाहते हैं तो कोई बात नहीं आप न भी कर सकते हैं. आपने ही वर देने को कहा और यदि आप नहीं देना चाहते हैं तो न दीजिए. रघुवंश के लोग तो सत्य प्रतिज्ञा वाले के नाम से ही प्रसिद्ध हैं, आप सत्य को छोड़ कर अपयश का मार्ग चुन सकते हैं. क्या आपने सोचा था कि वर के रूप में कैकेयी चना चबेना मांग लेगी.  

राजा दशरथ बोले, सुबह ही भरत को बुलवा कर राज्य दे दूंगा

धर्म की धुरी धारण करने वाले राजा दशरथ ने धीरज धर कर सिर के बाल नोचते हुए लंबी सांस लेकर अपनी आंखें खोलीं और विचार किया कि कैकेयी ने तो ऐसी कठिन परिस्थिति पैदा कर दी है कि इससे निकलना मुश्किल है. राजा बहुत ही नम्रता के साथ कैकेयी को प्रिय लगने वाली वाणी में बोले, हे प्रिये, मेरे विश्वास और प्रेम को नष्ट करके ऐसे कठोर वचन क्यों कह रही हो. मेरे लिए तो भरत और राम दोनों मेरी आंख के समान हैं, मैं तो इनमें कोई अंतर नहीं समझता हूं. यह बात मैं शिव जी को साक्षी मान कर कह रहा हूं. मैं अवश्य ही सुबह दूत भेज कर भरत और शत्रुघ्न को बुलवा लूंगा, सब तैयारी का डंका बजाकर मैं भरत को राज्य दे दूंगा.

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