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जोर शोर से चल रहा है श्रृंगवेरपुर धाम का विकास कार्य, जानें क्या है इतिहास और प्रभु राम से नाता

Prayagraj Shringverpur Dham History: प्रयागराज शहर से लगभग 45 किलोमीटर दूर एक श्रृंगवेरपुर धार्मिक स्थल स्थित है. ये स्थल प्रभु राम से जुड़े पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है. 

जोर शोर से चल रहा है श्रृंगवेरपुर धाम का विकास कार्य, जानें क्या है इतिहास और प्रभु राम से नाता
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Gurutva Rajput|Updated: Apr 14, 2024, 10:26 AM IST

Shringverpur Dham: प्रयागराज शहर से लगभग 45 किलोमीटर दूर एक श्रृंगवेरपुर धार्मिक स्थल स्थित है. ये स्थल प्रभु राम से जुड़े पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है. आज के दौर में इस धाम का विकास कार्य जोर-शोर से चल रहा है. 2025 में होने वाले महाकुंभ से पहले इस तीर्थ क्षेत्र घोषित करने का पूरा प्रयास किया जा रहा है. श्रृंगवेरपुर के विकास कार्यों के लिए करीब 135 करोड़ रुपयों का खर्चा किया जा रहा है. 

 

जोर-शोर से चल रहा विकास कार्य
श्रृंगवेरपुर का सबसे खास जगह निषादराज पार्क माना जाता है. ये करीब 10 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है. विकसित करने की दिशा में इस पार्क में फव्वारे, विशाल द्वार, रमायण के प्रसंगो का चित्रण किया जा रहा है. पार्क के बीच में प्रभु राम और निषादराज की गले मिलते हुए 51 फीट की कांस्य प्रतिमा स्थापित है. कहा जाता है कि ऋषि श्रृंगी इसी स्थल पर निवास किया करते थे. अब सवाल ये है कि इस धार्मिक स्थल का प्रभु राम से क्या संबंध है. आइए जानते हैं.

 

निषादराज से मिले प्रभु राम
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार प्रभु राम, माता सीता और लक्ष्मण मनुष्य के अवतार में वनवास के लिए निकले थे. श्रृंगवेरपुर में प्रभु राम की मुलाकाक निषादराज से हुई. उस समय निषादराज मछुआरों के राजा हुआ करते थे. प्रभु राम ने निषादराज से गंगा नदी पार कराने को कहा. निषादराज ने प्रभु राम ने राम जी की बात को एक शर्त के साथ स्वीकार कर लिया. निषादराज की शर्त थी कि वह प्रभु राम के पैर धुल कर उनके पैरों से लगा पानी पीना चाहते हैं. 

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प्रभु राम मे मानी शर्त
प्रभु राम के प्रति स्नेह, प्रेम देखकर वह निषादराज की शर्त को मान गए. कहा जाता है कि जहां केवट ने प्रभु राम के पैर धोए थे उस जगह पर प्रभु के चरणों के पग चिन्ह बने हुए हैं. धार्मिक शास्त्रों के अनुसार ये स्थान प्रभु राम के वनवास का पहला पड़ाव था. 

 

मिलता है पुत्र प्राप्ति का वरदान
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो भी श्रद्धालु यहां पुत्र का कामना लेकर आते हैं उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान मिलता है. रामनवमी के अवसर पर यहां श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है. इसके अलावा कार्तिक पूर्णिमा के अवसर बहुत बड़े भव्य मेले का भी आयोजन किया जाता है.

 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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