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Mahakumbh 2025: अगला कुंभ मेला कब और कहां होने वाला है? जानें कैसे तय होती है तारीख और स्‍थान

Mahakumbh Mela 2025: भारत के पवित्र तीर्थों में होने वाले महाकुंभ पूरी दुनिया में मशहूर है. जल्‍द ही देश अगले महाकुंभ का साक्षी बनने वाला है. यह महाकुंभ कब और कहां होगा, आइए जानते हैं. 

Mahakumbh 2025: अगला कुंभ मेला कब और कहां होने वाला है? जानें कैसे तय होती है तारीख और स्‍थान
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Shraddha Jain|Updated: May 17, 2024, 11:44 AM IST

Mahakumbh Prayagraj: देश में अगला महाकुंभ प्रयागराज में होने वाला है. महाकुंभ मेले का आयोजन साल 2025 में 13 जनवरी से होगा. महाकुंभ मेले का आयोजन हर 12 साल में किया जाता है. इससे पहले यह आयोजन साल 2013 में हुआ था. कुंभ मेले का सनातन धर्म में बेहद महत्‍व है. इनका संबंध ज्‍योतिष और आस्‍था दोनों से होता है. जब कुछ ग्रह एक खास स्थिति में होते हैं, तब ही महाकुंभ और अर्द्धकुंभ का आयोजन होता है. 

कब लगता है प्रयागराज का महाकुंभ? 

ज्‍योतिषीय मान्‍यताओं के अनुसार, जब गुरु ग्रह वृषभ राशि में होते हैं, तब प्रयागराज में महाकुंभ लगता है. यह स्थिति 12 वर्ष में एक बार ही बनती है क्‍योंकि देवगुरु बृहस्‍पति हर राशि में 1 साल तक रहते हैं. इस तरह उन्‍हें एक राशि चक्र पूरा करने में 1 साल का समय लगता है. इस साल 1 मई 2024 को गुरु गोचर करके वृषभ राशि में पहुंच गए हैं और अप्रैल 2025 तक वृषभ राशि में ही रहेंगे. अब बात आती है महाकुंभ शुरू होने और समाप्‍त की तारीख. 

गुरु के वृषभ में रहने के दौरान जब सूर्य और चन्द्रमा मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब प्रयागराज का महाकुंभ शुरू होता है. साल 2025 में यह संयोग 13 जनवरी को बनेगा. तभी 13 जनवरी 2025 से प्रयागराज महाकुंभ प्रारंभ होगा जो कि 26 फरवरी 2025 तक यह मेला लगेगा.

महाकुंभ के प्रमुख स्‍नान की तिथियां

2025 के महाकुंभ का पहला शाही स्‍नान - 14 जनवरी को मकर संक्राति के दिन होगा. 
दूसरा शाही स्‍नान - 29 जनवरी मौनी अमावस्‍या के दिन होगा. 
तीसरा शाही स्‍नान - 3 फरवरी बसंत पंचमी को होगा. 
इसके अलावा 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा का स्‍नान, 12 फरवरी को माघी पूर्णिमा का स्‍नान और 26 फरवरी को महाशिवरात्रि का स्‍नान होगा. 

ऐसे तय होते हैं कुंभ मेले 

कुंभ मेले का आयोजन प्रयागराज, उज्‍जैन, हरिद्वार और नासिक में होता है. कब किस जगह पर कुंभ मेले का आयोजन होगा इसका निर्धारण ग्रहों और राशियों की स्थिति देखकर किया जाता है. कुंभ मेले की तिथि का निर्धारण  करने में सूर्य और गुरु का रोल सबसे अहम होता है.

- गुरु जब वृषभ राशि में हों और इस दौरान जब भी सूर्य मकर राशि में आएं तब कुंभ मेले का आयोजन प्रयागराज में होता है.

- इसी तरह जब गुरु कुंभ राशि में हों और इस दौरान सूर्य मेष राशि में आएं तो कुंभ का मेला हरिद्वार में लगता है.

- सूर्य और गुरु जब सिंह राशि में हों तब महाकुंभ मेला नासिक में लगता है.

- जब देवगुरु सिंह राशि में हों और सूर्य मेष राशि में होते हैं तो कुंभ का आयोजन उज्‍जैन में होता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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