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श्रीलंका में मां सीता की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा, सरयू के जल से होगा अभिषेक

Mata Sita Mandir in Srilanka: मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा से पहले माता सीता का अभिषेक भारत के सरयू जल से किया जाएगा. श्रीसीता अम्मन मंदिर प्रशासन की ओर से प्रदेश के प्रमुख सचिव को अयोध्या का सरयू जल उपलब्ध कराने के लिए पत्र भी लिखा है.

श्रीलंका में मां सीता की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा, सरयू के जल से होगा अभिषेक
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Gurutva Rajput|Updated: Apr 26, 2024, 10:47 AM IST

Seetah Amman Mandir Sri Lanka: 22 जनवरी को राम नगरी अयोध्या में हुआ रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अब श्रीलंका में माता सीता की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. जानकारी के लिए बता दें श्रीलंका में माता सीता को समर्पित श्रीसीता अम्मन मंदिर स्थित है. यहां मां जानकी की नई मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी जिसके लिए तैयारियां जोरों शोरों से चल रही हैं.

 

अयोध्या से आएगा 21 लीटर सरयू जल
मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा से पहले माता सीता का अभिषेक भारत के सरयू जल से किया जाएगा. श्रीसीता अम्मन मंदिर प्रशासन की ओर से प्रदेश के प्रमुख सचिव को अयोध्या का सरयू जल उपलब्ध कराने के लिए पत्र भी लिखा है. इसको देखते हुए मंदिर प्रशासन का एक दल 15 मई के बाद जल लेने भारत आएगा. प्रमुख सचिव कार्यालय की ओर से 21 लीटर सरयू जल उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी श्रीअयोध्या जी तीर्थ विकास परिषद को दी गई है.

 

श्रीश्री रविशंकर करेंगे भारत का प्रतिनिधित्व
श्रीसीता अम्मन मंदिर में मां जानकी कीनई मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के लिए भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. इस कार्यक्रम में श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे और प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धन भी शामिल होंगे. इन्हीं के साथ भारत का प्रतिनिधित्व प्रख्यात आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर करेंगे. 

 

मंदिर का इतिहास 
भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका में माता सीता का श्रीसीता अम्मन मंदिर नुवारा एलिया की पहाड़ियों में स्थित है. कहा जाता है कि ये मंदिर वहीं स्थित है जिसे रामकथा में अशोक वाटिका बताया गया है. मान्यताओं के अनुसार माता सीता को ढूंढते हुए पहली बार श्रीलंका में कदम रखे थे. इसके बाद उन्होंने माता सीता को प्रभु राम की अंगूठी दिखाई थी. इसके बाद जब लंकापति रावण से मिलने के लिए उन्होंने राक्षसों से पकड़वाया था तो मेघनाथ ने उनकी पूंछ में आग लगा दी थी. इसके बाद लंका कांड हुआ था.

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आज भी हैं लंका कांड के निशान
कहा जाता है कि यहां के श्रीसीता अम्मन मंदिर के ठीक पीछे चट्टानों पर हनुमान के पैरों के निशान देखने को मिलते हैं. इसके अलावा सीता एलिया से होकर बहने वाली सीता नदी के एक किनारे की मिट्टी पीली और दूसरे किनारे की मिट्टी काली है. इसका कारण है कि जह हनुमान जी ने लंका कांड किया था तब अशोक वाटिका अग्निकांड से अछुता रह गया था और मिट्टी पीली है. जहां की मिट्टी जली थी वहां भी आज काली मिट्टी है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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