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Shiv ji Puja Path: सावन में सही तिथि और वार पर करें पूजा, बहुत जल्‍दी प्रसन्‍न होंगे महाकाल

Mahadev Puja: भोलेनाथ में आस्था रखने वाले भक्त सावन मास का बेसब्री से इंतजार करते है. शिवकृपा पाने के लिए सावन से उत्तम समय और कोई नहीं हो सकता है. यदि सावन की कुछ खास तिथियों पर रुद्राभिषेक या महामृत्युंजय का जाप किया जाए, तो बहुत ही शुभ परिणाम आते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दौरान पूजा पाठ से शिव प्रसन्न होकर तत्काल फल देते हैं. 

Shiv ji Puja Path: सावन में सही तिथि और वार पर करें पूजा, बहुत जल्‍दी प्रसन्‍न होंगे महाकाल
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Shraddha Jain|Updated: Jul 31, 2024, 01:09 PM IST

Lord Shiva Puja Abhishek : वैसे तो श्रावण मास का हर एक दिन, क्षण शिवमय होता है, फिर भी शुभ मुहूर्त, समय और दिन पर की गई पूजा जल्दी फलित होती हैं. ज्‍योतिषाचार्य पंडित शशिशेखर त्रिपाठी कहते हैं कि सावन के पावन मौसम में अगर शिव से संबंधित तिथि, वार मिल जाए तो सोने पर सुहागा हो जाता है. शिव की तिथि होती है- प्रदोष. प्रदोष तिथि के स्वामी महादेव है और वार में सोमवार को शिव का माना गया है. सावन के सोमवार, प्रदोष और मासशिवरात्रि अगर यह सारी चीज मिल रही हैं, तो यह सर्वोत्तम है. यदि आपने भी शिवपूजन, रुद्राभिषेक या जाप का कोई अनुष्ठान किया है, तो आपको इन तिथियों का ही चयन करना चाहिए. वैसे तो प्रदोष व्रत, मासशिवरात्रि प्रत्येक मास के कृष्ण और शुक्ल पक्ष तिथि में आते है. लेकिन इस मास के वार में सोमवार और तिथि में त्रयोदशी और चतुर्दशी खास महत्व रखती है. 

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प्रदोष  

सावन मास में कुल दो प्रदोष है, पहला गुरु प्रदोष जोकि 1 अगस्त और दूसरा शनि प्रदोष 17 अगस्त को है. प्रदोष जिस दिन होता है, उस वार का भी महत्व उस प्रदोष में आ जाता है, जैसे- गुरुवार के दिन प्रदोष हो तो गुरु प्रदोष और शनिवार के दिन प्रदोष हो तो शनि प्रदोष होता है. 

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गुरु प्रदोष

जिन लोगों को गुरु से संबंधित कोई पीड़ा है, कुंडली में गुरु मारक है तो वह महादेव की उपासना करें. जलाभिषेक, महामृत्युंजय और रुद्राभिषेक करें. हल्दी केसर अर्पित करें इससे गुरु प्रसन्न होते हैं. गुरु प्रदोष के दिन शिव का अभिषेक हल्दी और केसर जल से करें तथा जिन लोगों की भी साढ़ेसाती चल रही है वह शनि प्रदोष में शिव जी का श्रृंगार नीले रंग के फूलों से करें. शिवजी का अभिषेक जरुर करना चाहिए.

शनि प्रदोष

जिन लोगों की धनी की साढ़ेसाती चल रही है, वह शनि प्रदोष के दिन नीले रंग के पुष्पों से बाबा का श्रृंगार करें, काले तिल अर्पित करें इससे शनि की साढ़ेसाती शांत होती है. शनि देव को कर्मों का दंड देने का अधिकार महादेव ने ही दिया था, इसलिए महादेव की उपासना यदि की जाए तो शनि अपने कोप को छोड़ देते हैं.  

सावन शिवरात्रि 

प्रत्येक माह की चतुर्दशी को मासशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है. सावन मास की पहली शिवरात्रि 2 अगस्त को है, इस बार आद्रा नक्षत्र होने के कारण यह बहुत शुभ मानी जा रही है और दूसरी मासशिवरात्रि 18 अगस्त को है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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