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Bhagwan Parshuram: जानें क्यों परशुराम ने 21 बार धरती को किया था क्षत्रिय विहीन, पढ़ें पौराणिक कथा

Lord Parshuram: भगवान परशुराम के बारे में सभी जानते हैं कि उन्होंने 21 बार इस धरती से क्षत्रियों को मिटाया था. जानें क्यों मां की करुण पुकार सुन परशुराम ने फरसा उठा लिया था.   

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Shilpa Rana|Updated: Mar 16, 2023, 02:20 PM IST

Bhagwan Parshuram Katha: भगवान परशुराम के बारे में यह तो सभी जानते हैं कि उन्होंने 21 बार इस धरती से क्षत्रियों को मिटाया, किंतु बहुत कम लोग जानते हैं कि उन्होंने इतना कड़ा फैसला किन परिस्थितियों में लिया. आखिर ऐसी कौन सी घटना हो गई थी, जिससे वह इतना अधिक उत्तेजित हो गए कि एक जाति विशेष के लोगों को नष्ट करने पर उतारू हो गए. 

लोक कल्याण के लिए भगवान विष्णु सहित अन्य भगवान भी समय-समय पर अवतार लेते रहे हैं. भगवान परशुराम भी विष्णु जी के अवतारों में से एक है. उन्होंने ऋषि जमदग्नि और रेणुका के गर्भ से जन्म लिया था. वह अपने माता-पिता के परम आज्ञाकारी और उपासक थे. एक बार राजा सहस्त्रार्जुन भारी सेना के साथ वन को निकले और ऋषि जमदग्नि के आश्रम में रुके. वहां पर उन्हें ऋषि की कामधेनु गाय बहुत पसंद आई, जिसके कारण ही ऋषि राजा और उनके सैनिकों का यथोचित आदर सत्कार कर सके थे. 

राजा ने ऋषि से उस अलौकिक गाय को मांगा, जिसे देने से इनकार करने पर राजा ने अपने सैन्य बल से उसे जबरन प्राप्त कर लिया. उस समय आश्रम में परशुराम नहीं थे, आने पर पता लगा तो वह अकेले चले गए और सहस्त्रार्जुन का सेना सहित वध कर दिया. ऋषि को यह कार्य अनुचित लगा और उन्होंने परशुराम को खूब डांट लगाने के साथ ही पश्चाताप करने को कहा. पिता की आज्ञा पाकर परशुराम तप करने चले गए. इधर मौका पाकर राजा के पुत्रों ने ऋषि जमदग्नि का वध कर दिया. 

परशुराम तपस्या कर लौटे तो उन्हें अपार दुख हुआ. मां रेणुका की करुण पुकार उनसे देखी न गई और उन्होंने वहीं पर संकल्प लिया कि जब तक इस धरती को क्षत्रियों से विहीन नहीं कर देते, वह शांत नहीं बैठेंगे. उन्होंने 21 बार क्षत्रियों को सेना सहित परास्त किया. परशुराम जी की जयंती वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है, जिस दिन उनका अवतार हुआ था. इस वर्ष यह तिथि 23 अप्रैल 2023 दिन रविवार को होगी.  

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