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Panchak 2024 March: महाशिवरात्रि से ही शुरू हो रहे पंचक, क्‍या पूजा पर पड़ेगा असर?

Panchak March 2024: पंचक काल के 5 दिन को शुभ और मांगलिक कार्यों के लिए अशुभ माना गया है. साल 2024 में मार्च महीने में पंचक महाशिवरात्रि के दिन से ही शुरू हो रहे हैं. ऐसे में क्‍या महाशिवरात्रि पर इसका असर होगा, आइए जानते हैं. 

Panchak 2024 March: महाशिवरात्रि से ही शुरू हो रहे पंचक, क्‍या पूजा पर पड़ेगा असर?
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Shraddha Jain|Updated: Mar 05, 2024, 09:39 AM IST

Mahashivratri 2024 Date: ग्रह-नक्षत्र की खास स्थितियों होने पर 5 दिन का पंचक काल पड़ता है. हर महीने पंचक आते हैं. 5 दिन के पंचक काल में शुभ-मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं. जैसे- गृह निर्माण, मुंडन, गृह प्रवेश, यज्ञ-अनुष्‍ठान आदि. हिंदू धर्म में हर शुभ-मांगलिक कार्य के लिए मुहूर्त निकाला जाता है, ऐसे में इन शुभ-अशुभ काल का विशेष ध्‍यान रखा जाता है. ताकि काम करने का शुभ फल मिले. साल 2024 के मार्च महीने में 8 मार्च से पंचक लग रहे हैं. 8 मार्च को ही महाशिवरात्रि है. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. ऐसे में 8 मार्च को महाशिवरात्रि के दिन से पंचक प्रारंभ होने से पूजा-पाठ पर असर पड़ेगा. 

महाशिवरात्रि और पंचक एक ही दिन 

पचंक काल में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं लेकिन भगवान शिव तो देवों के देव और कालों के महाकाल हैं. महादेव की पूजन अभिषेक पर पंचक के कारण कोई असर नहीं पड़ेगा. शिव भक्‍त हर साल की तरह महाशिवरात्रि पर पूजन-अभिषेक कर सकेंगे. 

मार्च में चोर पंचक 

पंचांग के अनुसार, मार्च माह में पंचक 8 मार्च, शुक्रवार की रात 09 बजकर 21 मिनट से प्रारंभ होंगे और 12 मार्च मंगलवार की रात 08 बजकर 30 मिनट पर समाप्‍त होंगे. शुक्रवार से शुरू होने के कारण मार्च 2024 के पंचक चोर पंचक होंगे. चोर पंचक के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है, वरना अच्‍छे कार्य का भी अशुभ फल मिलता है. 

पंचक में ना करें ये काम

पंचक काल में गृह प्रवेश, नामकरण, विवाह, गृह निर्माण की शुरुआत आदि कार्य वर्जित होते हैं. इसके अलावा पंचक में लकड़ी या लकड़ी का सामान खरीदना, पलंग-बिस्‍तर लेना, छत ढलवाना, दक्षिण दिशा में यात्रा करना अच्‍छा नहीं माना जाता है. यदि यात्रा करना जरूरी हो तो यात्रा करने से पहले कुछ कदम पीछे चलकर फिर इस दिशा में यात्रा शुरू कर सकते हैं.

बात दें कि जब चन्द्रमा धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्व भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती नक्षत्र में विचरण करता है, तो उसे पंचक कहा जाता है. इन नक्षत्रों को पार करने में चंद्रमा को करीब 5 दिन का समय लगता है, तब इस काल को पंचक कहा जाता है और इसमें कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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