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4 महीने के लिए सोने चले श्री हरि, ऐसे करेंगे पूजा तो बरसेगी त्रिदेवों की कृपा!

भगवान श्रीहरि देवशयनी एकादशी के दिन योगनिद्रा में चले जाते हैं. 4 महीने तक वे शयन करते हैं. यह समय चातुर्मास कहलाता है. यदि देवशयनी एकादशी के दिन खास विधि से पूजा करें तो न केवल विष्‍णु जी बल्कि ब्रह्मा-विष्‍णु-महेश तीनों भगवान की कृपा बरसेगी. 

फाइल फोटो
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Shashishekhar Tripathi|Updated: Jul 10, 2022, 10:17 AM IST

नई दिल्‍ली: भगवान श्रीहरि देवशयनी एकादशी के दिन सोने चले जाते हैं. आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी 10 जुलाई 2022 से 4 मास के लिए शयन के लिए चले जाते हैं. चार माह तक सोने के बाद भगवान देवोत्थान एकादशी अर्थात 4 नवंबर 2022 को जागेंगे. माना जाता है कि इस अवधि में भगवान सो रहे हैं तो सामान्य पूजा पाठ के अतिरिक्त अन्य सभी तरह के मांगलिक कार्य आदि चार माह तक स्थगित रहेंगे और देवोत्थान एकादशी से फिर से शुरु होंगे.   

संत महात्माओं से लेकर गृहस्थों तक में महत्व

इसे आषाढ़ एकादशी भी कहा जाता है. भारतवर्ष में गृहस्थों से लेकर संत-महात्माओं व साधकों तक के लिए इस आषाढ़ी एकादशी से प्रारम्भ होने वाले चातुर्मास का प्राचीन काल से ही विशेष महत्व रहा है. जीवन में योग, ध्यान व धारणा का बहुत स्थान है क्योंकि इससे सुप्त शक्तियों का नवजागरण एवं अक्षय ऊर्जा का संचय होता है. इसका प्रतिपादन हरिशयनी एकादशी से भली-भांति होता है, जब भगवान विष्णु स्वयं चार महीने के लिए योगनिद्रा का आश्रय ले कर ध्यान धारण करते हैं. आषाढ़ मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी के अलावा हरिशयनी या शेषशयनी या पद्मनाभा एकादशी भी कहते हैं क्योंकि श्री हरि को इन नामों से भी पुकारा जाता है. 

चार महीने राजा बलि के यहां ही निवास करते हैं त्रिदेव

श्रीमद्भागवत महापुराण के अष्टम स्कंद में दानवीर बलि की कथा इसके पौराणिक महत्व को दर्शाती है. भगवान वामन ने जब राजा बलि से साढ़े तीन पग भूमि का दान मांगा और तीन ही पग में तीनों लोक नाप लिए. तब भी साक्षात श्री हरि का सानिध्य पा चुके ज्ञानवान राजा बलि साहस और वचन का मान रखते हुए बोले, प्रभु धन से ज्यादा महत्व धनी का होता है, इसलिए आपने जिसके धन को तीन पग में शुमार किया है, आधा पग उसकी देह का भी आंकलन कर लें. 

बलि की प्रेमपूर्ण भक्ति, अनुराग एवं त्याग से गदगद भगवान विष्णु ने उसे पाताल लोक का अचल राज देकर और वरदान मांगने को कहा. राजा बलि ने वचनबद्ध हो चुके विष्णु जी से कहा, प्रभु, आप नित्य मेरे महल में निवास करें. उसी समय से श्री हरि द्वारा वर का अनुपालन करते हुए तीनों देवता अर्थात विष्णु जी के साथ महादेव और ब्रह्मा जी भी देवशयनी एकादशी से देव प्रबोधिनी एकादशी तक पाताल लोक में निवास करते हैं. इसीलिए कहा जाता है कि जिसने केवल इस आषाढ़ एकादशी का व्रत रखकर कमल पुष्पों से भगवान विष्णु का पूजन कर लिया, उसे त्रिदेव के पूजन का फल प्राप्त होता है. 

इस तरह करें व्रत उपासना  

विद्वानों के अनुसार चार माह की इस अवधि में श्री विष्णु का ध्यान कर व्रत उपवास पूजा-अर्चना आदि करना चाहिए. प्रतिदिन प्रातः काल स्नान करके जो भगवान विष्णु के समक्ष खड़ा होकर 'पुरुषसूक्त' का जप करता है, उसकी बुद्धि बढ़ती है. जो अपने हाथ में फल लेकर मौन भाव से भगवान विष्णु की एक सौ आठ परिक्रमा करता है, वह कभी भी पाप में लिप्त नहीं होता है. इस अवधि में जो व्यक्ति रोज वेदों का पाठ कर भगवान विष्णु की आराधना करता है, वह विद्वान होता है. यदि चार महीनों तक नियम का पालन करना संभव न हो तो मात्र कार्तिक मास में ही सब नियमों का पालन करना चाहिए. 

चार माह में उपयोगी वस्तुएं त्यागने का व्रत लेने वाले उन वस्तुओं को ब्राह्मण को दान करें तो त्याग सफल होता है. माना जाता है कि जो मनुष्य भगवान विष्णु के उद्देश्य से केवल शाकाहार करके वर्षा के चार महीने व्यतीत करता है, वह धनी होता है, जो इस अवधि में प्रतिदिन नक्षत्रों का दर्शन करके केवल एक बार ही भोजन करता है, वह धनवान और रूपवान होता है तथा जो एक दिन का अंतर देकर भोजन करते हुए चौमासा व्यतीत करता है, वह सदा वैकुंठ धाम में निवास करता है.   

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