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नारद ने अपने ईष्‍ट श्रीहरि को दिया था शाप, राम अवतार में झेलना पड़ा पत्‍नी का विरह

Lord Ram Shaap Story: हर समय नारायण-नारायण का जाप करने वाले नारद मुनि ने एक बार अपने इष्‍ट भगवान विष्‍णु को ही शाप दे दिया था. इस शाप के चलते ही भगवान विष्‍णु को राम अवतार में पत्‍नी का विरह सहना पड़ा था. 

नारद ने अपने ईष्‍ट श्रीहरि को दिया था शाप, राम अवतार में झेलना पड़ा पत्‍नी का विरह
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Shraddha Jain|Updated: Dec 01, 2023, 12:59 PM IST

Narada Muni Cursed Lord Vishnu: नारद मुनि भगवान श्रीहरि विष्‍णु के परमभक्‍त हैं. वे हर समय नारायण-नारायण जपते रहते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार एक समय ऐसा भी आया था जब नारद मुनि ने नाराज होकर भगवान विष्‍णु को शाप दे डाला था. इसी शाप के चलते भगवान विष्‍णु को भगवान राम के अवतार में पत्‍नी वियोग सहना पड़ा था. आइए जानते हैं आखिर क्‍यों नारद मुनि ने भगवान विष्‍णु को शाप दिया था. 

ब्रह्मचर्य पर हो गया था घमंड 
 
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार नारद जी को अपने ब्रह्मचर्य पर घमंड हो गया. अहंकारवश वे शिव जी के पास पहुंचे और उनसे कहा कि उनके ब्रह्मचर्य को कामदेव भी नहीं तोड़ सके. इस पर भोलेनाथ ने उनकी प्रशंसा  तो की साथ ही चेताया भी कि वे इस बात का घमंड न करें. इसके अलावा एक सलाह भी दी कि वे इस बात का जिक्र भगवान विष्णु जी के सामने ना करें. 

नारद मुनि उस समय अहंकार के वशीभूत थे और सभी जगह अपने ब्रह्मचर्य का गुणगान कर रहे थे. इसी क्रम में उन्‍होंने विष्‍णु जी से भी यह बात कह दी. तब विष्णु जी ने उनके अहंकार को तोड़ने के लिए माया रची. जब नारद जी बैकुंठ से लौट रहे थे, तब उन्‍हें रास्ते में एक महल दिखा, जहां राजकुमारी विश्वमोहिनी का स्वयंवर चल रहा था. विश्वमोहिनी को देखकर नारद जी मोहित हो गए.

विष्‍णु जी से मांगा हरि रूप 

नारद मुनि इस कदर आकर्षित हो गए कि विष्णु जी के पास जा पहुंचे और कहा कि आप मुझे हरि का रूप दे दीजिए. भगवान ने कहा कि वह तो दे देंगे लेकिन ऐसा न हो कि बाद में पछतावा हो. नारद जी नहीं मानें. नारद जी इस बात को भूल गए थे कि हरि का एक अर्थ वानर भी होता है. वहीं भगवान श्रीहरि ने नारद जी को हरि का रूप अर्थात् वानर का मुख दे दिया. वानर मुख लेकर जब नारद जी स्वयंवर में पहुंचे तो विश्वमोहिनी समेत वहां उपस्थित सभी लोग वानर मुख वाले नारद जी को देखकर हंसने लगे. अपना उपहास होते देखकर नारद जी आश्‍चर्यचकित रह गए कि हरि मुख प्राप्‍त करने के बाद भी विश्‍वमोहिनी उन्‍हें वरमाला पहनाकर उनका वरण क्‍यों नहीं कर रहीं?

नाराज नाराद मुनि ने दिया शाप 

उसी समय भगवान विष्णु वहां प्रकट हुए और विश्वमोहिनी ने तुरंत उनके गले में वर माला पहना दी. उपहास उड़ते देख नारद मुनि ने जब अपना चेहरा पानी में देखा तो नाराज हो गए. उसी समय उन्‍होंने विष्णु भगवान को श्राप दिया कि जिस प्रकार वे नारी का वियोग सहन कर रहे हैं वैसे ही आप भी नारी वियोग सहेंगे. हालांकि माया समाप्त होते ही नारद जी को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने श्रीहरि विष्‍णु से क्षमा भी मांग ली. लेकिन भगवान विष्‍णु जब राम अवतार में पृथ्वी पर आए तब उन्‍हें नारद मुनि के श्राप के कारण अपनी पत्नी सीता का वियोग सहन करना पड़ा था.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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