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नलहरेश्वर शिव मंदिर: भोलेनाथ का वो प्राचीन मंदिर जहां कदम्ब के पेड़ से लगातार निकलता है मीठा पानी

Nalhareshwar Mahadev Mandir in Nuh: इस मंदिर की खास बात ये है कि यहां पर एक कदंब का पेड़ है जहां से लगातार मीठा पानी निकलता रहता है. ये मंदिर अरावली की पहाड़ियों पर स्थित है. आइए जानते हैं इस मंदिर के इतिहास और इसे जुड़ी कहानियों के बारे में.

नलहरेश्वर शिव मंदिर: भोलेनाथ का वो प्राचीन मंदिर जहां कदम्ब के पेड़ से लगातार निकलता है मीठा पानी
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Gurutva Rajput|Updated: Apr 01, 2024, 10:09 AM IST

Nalhareshwar Mandir: भारत में देवों के देव महादेव के कई सारे प्राचीन मंदिर प्रसिद्ध हैं. हर एक मंदिर का अपने आप में महत्व है. आज हम आपको हरियाणा में स्थिति प्राचीन शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं. इस मंदिर का नाम नलहरेश्वर महादेव मंदिर. इस मंदिर की खास बात ये है कि यहां पर एक कदंब का पेड़ है जहां से लगातार मीठा पानी निकलता रहता है. ये मंदिर अरावली की पहाड़ियों पर स्थित है. आइए जानते हैं इस मंदिर के इतिहास और इसे जुड़ी कहानियों के बारे में.

 

मंदिर का इतिहास
नलहरेश्वर शिव मंदिर जिला मुख्यालय नूंह शहर से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने कौरवों और पांडवों का समझौता कराने के लिए इस जगह को चुना था. माना जाता है कि जहां-जहां भी कृष्ण भगवान ने अपने पांव रखे वहां आज के समय में कदंब का पेड़ पाया जाता है. जिस कदंब के पेड़ से पानी निकलता है वो मंदिर से करीब 500 फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर स्थित है. 

 

पहुंचने के लिए 287 सीढ़ियां
इस पेड़ तक पहुंचने के लिए 287 सीढ़ियां बनाई गई हैं. जिससे महादेव के भक्त पेड़ के पास आसानी से पहुंच सकें. जो भी भक्त नलहरेश्वर मंदिर में शिव जी के दर्शन करने आते हैं वो इस पेड़ के पास भी जरूर जाते हैं.

 

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कभी खत्म महीं होता पानी
कदंब के पेड़ से लगातार निकल रहा पानी बिल्कुल शुद्ध और मीठा है. श्रद्धालु इस पानी को भरकर भी लेकर जाते हैं लेकिन पानी कभी खत्म नहीं होता. आपको जानकर हैरानी होगी कि जहां गर्मी के मौसम में जहां अरावली पहाड़ियों के पेड़ों से पतझड़ हो चुका है वहीं, इस कदंब के पेड़ पर अभी भी हरियाली है. 

 

महाशिवरात्रि पर लगता है भव्य मेला
महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर नलहरेश्वर शिव मंदिर पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता है. भोलेनाथ के भक्त यहां कांवड़ भी लेकर आते हैं. जानकारों के मुताबिक साल 1983 में मंदिर परिसर को सुंदर बनाने की शुरुआत हुई थी. मंदिर के परिसर में बड़ा मुख्य द्वार भी बना हुआ है. इस मंदिर में दर्शन करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. मंदिर की सुंदरता और ऐतिहासिकता देखते हुए रोज श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है. इस जगह को पर्यटक स्थल के रूप में बनाने की भी चर्चा की जा रही है.

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