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Nagpanchami Special: प्रयागराज में है दुनिया का अनोखा नागवासुकी मंदिर, जहां कालसर्प दोष से मिलती है मुक्ति

Nagvasuki Temple: प्रयागराज (Prayagraj) में नागवासुकि मंदिर (Nagvasuki temple) काफी प्राचीन है. इसका कोई लिखित प्रमाण नहीं है कि यह मंदिर कब बना. दुनिया का यह इकलौता मंदिर है, जहां नागवासुकि की आदमकद प्रतिमा है.

Nagpanchami Special: प्रयागराज में है दुनिया का अनोखा नागवासुकी मंदिर, जहां कालसर्प दोष से मिलती है मुक्ति
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Zee News Desk|Updated: Aug 02, 2022, 12:09 PM IST

Prayagraj Nagvasuki Temple: नागपंचमी के अवसर पर प्रयागराज में दारागंज (Daraganj) के नागवासुकि मंदिर की महिमा विशेषरूप से बढ़ जाती है. सावन माह और नागपंचमी पर मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है. ऐसी मान्यता है कि इस दौरान मंदिर में विग्रह के दर्शन मात्र से पाप का नाश होता है. वहीं, कालसर्प के दोष (Kalsarp Dosh) से भी मुक्ति मिलती है.

भक्तों का लगता है जमघट

वैसे साल भर मंदिर में सन्नाटा रहता है, लेकिन सावन और नागपंचमी में देश के कई इलाकों से भक्तों का जमघट लगा रहता है. प्रयागराज में नागपंचमी का मेला विशेष माना जाता है. इसकी परंपरा महाराष्ट्र के पैष्ण तीर्थ से जुड़ती है, जो नासिक की तरह गोदावरी के तट पर स्थित है.

नाग देवता केंद्र में प्रतिष्ठित

अपने अनूठे वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध नागवासुकि मंदिर, विश्व का इकलौता मंदिर है, जिसमें नागवासुकि की आदमकद की प्रतिमा है. मंदिर के पूर्व-द्वार की देहली पर शंख बजाते हुए दो कीचक बने हैं, जिनके बीच में लक्ष्मी के प्रतीक कमल दो हाथियों के साथ बने हैं. इसकी कलात्मकता सबसे अधिक आकर्षित करती है. नागवासुकि का विग्रह भी आकार-प्रकार में कम सुंदर नहीं है. देश में ऐसे मंदिर अपवाद रूप में ही मिलेंगे, जिसमें नाग देवता को ही केंद्र में प्रतिष्ठित किया गया हो. इस दृष्टि से नागवासुकि मंदिर असाधारण महत्ता रखता है.

गंगा तट पर है स्थित

यह मंदिर कब बना और कितनी बार बना, इसका कोई लिखित प्रमाण नहीं है. कहा जाता है कि मराठा शासक श्रीधर भोंसले ने वर्तमान मंदिर का निर्माण कराया. वहीं, कुछ लोग इसका श्रेय राघोवा को देते हैं. जैसे असम के गुवाहाटी में नवग्रह-मंदिर ब्रह्मपुत्र के उत्तर तट पर स्थित है, वैसे ही प्रयागराज में नागवासुकि मंदिर भी गंगा के तट पर अलग स्थित दिखायी देता है. आर्यसमाज के अनुयायी भी इस मंदिर की महत्ता मानते हैं. दरअसल, स्वामी दयानंद सरस्वती ने कुंभ मेले के दौरान कड़ाके की ठंड में कई रातें इस मंदिर की सीढ़ियों पर काटी थीं.

कालसर्प दोष का होता है शमन

ऐसी धारणा है कि प्रयागराज के नागवासुकि मंदिर (Nagvasuki temple) में विशेष पूजा करने से कालसर्प दोष का शमन हो जाता है और व्यक्ति के जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं. देश में कालसर्प दोष निवारण की विशेष पूजा त्र्यबंकेश्वर, उज्जैन, हरिद्वार और वाराणसी में भी होती है, लेकिन वहां पर नागवासुकि मंदिर नहीं है, इसलिए दोष निवारण के लिए प्रयागराज की विशेष ख्याति है.                       
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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