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Masik Kalashtami 2024: कब है मासिक कालाष्‍टमी? जानें तारीख और काल भैरव को प्रसन्‍न करने के उपाय

Kalashtami May 2024: मासिक कालाष्टमी के दिन भगवान शिव के रुद्रावतार काल भैरव की पूजा की जाती है. तंत्र-मंत्र के देवता काल भैरव को प्रसन्‍न करने के लिए कालाष्‍टमी का दिन सर्वश्रेष्‍ठ माना गया है. 

Masik Kalashtami 2024: कब है मासिक कालाष्‍टमी? जानें तारीख और काल भैरव को प्रसन्‍न करने के उपाय
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Shraddha Jain|Updated: May 27, 2024, 08:47 AM IST

Kalashtami 2024 Date: हर महीने में कृष्ण पक्ष की अष्‍टमी तिथि को मासिक कालाष्‍टमी मनाई जाती है.  यह तिथि मुख्य रूप से कालभैरव जी की पूजा के लिए समर्पित मानी गई है. इसके अलावा इसे दुर्गाष्‍टमी भी कहते हैं और इस दिन देवी दुर्गा की पूजा का भी बड़ा महत्‍व है. मासिक कालाष्टमी के दिन कालभैरव देव की पूजा-अर्चना करने से शनि और राहु के दुष्‍प्रभावों से मुक्ति मिलती है. जीवन के दुख-दर्द दूर होते हैं. इसलिए कालाष्‍टमी व्रत भी रखा जाता है और इस दिन बाबा कालभैरव की विशेष पूजा भी की जाती है. 

कब है ज्‍येष्‍ठ कालाष्टमी 2024? 

पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 30 मई को सुबह 10 बजकर 13 मिनट पर हो रही है और 31 मई सुबह 08 बजकर 08 मिनट पर अष्‍टमी तिथि समाप्‍त होगी. यानी कि ज्‍येष्‍ठ कालाष्‍टमी व्रत 30 मई को रखा जाएगा. कालाष्‍मी 30 मई की रात को निशिता काल में कालभैरव की पूजा करना बहुत लाभ देगा. साथ ही जीवन की समस्‍याएं खत्‍म करेगा. 

मासिक कालाष्टमी पूजा सामग्री और विधि

मासिक कालाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें. फिर साफ-सुथरे कपड़े पहनकर सूर्य देव को अर्घ्‍य दें. इसके बाद बाबा कालभैरव का स्‍मरण करके कालाष्‍टमी व्रत-पूजा का सं‍कल्‍प लें. फिर कालभैरव की पूजा करें. इसके लिए बाबा कालभैरव के सामने सरसों के तेल का चौमुखी दीपक जलाएं. कालभैरव को काल भैरव को फल, बेलपत्र, लाल चंदन, फूल, पंचामृत, नारियल आदि चढ़ाएं. साथ ही  भगवान कालभैरव को उड़द की दाल और सरसों का तेल भी अर्पित करना चाहिए. अंत में भगवान शिव की आरती करें और सभी में प्रसाद बाटें. निशिता काल में यह पूजा दोबारा करें. 

कालाष्‍टमी के दिन करें इन मंत्रों का जाप

कालाष्‍टमी के दिन कालभैरव के मंत्रों का जाप जरूर करें. ताकि भगवान कालभैरव प्रसन्‍न होकर आपकी मनोकामना पूरी करें. 
 
ॐ भ्रं कालभैरवाय फट।।.
ॐ भयहरणं च भैरव।।.
ॐ कालभैरवाय नम।।.
ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्री।.
ॐ तीखदन्त महाकाय कल्पान्तदोहनम्, भैरवाय नमस्तुभ्यं अनुज्ञां दातुर्माहिसि
ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्री।।.
अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्, भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हस।।.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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