Hindi News >>धर्म
Advertisement

Premanand Maharaj: प्रेमानंद महाराज से जानें भगवान श्री कृष्ण को क्यों कहते हैं माखन चोर

Premanand Maharaj Pravachan: प्रेमानंद जी महाराज के विचार इन दिनों लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी रह रही है. इन्हीं में से एक विषय पर उन्होंने बताया कि आखिर भगवान श्री कष्ण का नाम माखन चोर कैसे पड़ा. चलिए विस्तार में प्रेमानंद महाराज के विचारों से इस बात को जानें.

 
premanand maharaj jji
Stop
shilpa jain|Updated: Jan 25, 2024, 12:34 PM IST

Premanand Maharaj Ji: प्रेमानंद जी महाराज इन दिनों लोगों के बीच चर्चा के विषय बने हुए हैं. दरअसल लोग उनके विचारों से बहुत ही ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं. बांके बिहारी को मानने वाले प्रेमानंद जी महाराज का एक वीडियो आजकल काफी वायरल हो रहा है. इस वीडियो में उन्होंने बताया है कि आखिर क्यों भगवान श्री कृष्ण को माखन चोर कहते थे! जबकि उनके पास खुद नौ लाख गाय थीं. तो आइए प्रेमानंद महाराज के जरिए विस्तार में जानें कि भगवान श्री कृष्ण को माखन चोर क्यों बुलाते थे!

जानें माखन चोर बुलाने का असली सच

हाल ही में प्रेमानंद महाराज ने बताया कि आखिर भगवान श्री कृष्ण को माखन चोर क्यों बुलाते थे. बता दें कि खुद भगवान श्री कृष्ण के घर में नौ लाख गाय थीं. जिसकी वजह से उनके पास दूध का कुंड, दही का कुंड और माखन का कुंड भी था. जिसमें कि वह आराम से स्नान कर सकते थे.

 

 
 
 
 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

A post shared by Jeena Ch (@premanandji.maharajj)

लीलाओं से सुख और सौभाग्य की होती है प्राप्ति

वृंदावन की माताएं जब मां यशोदा को भगवान कृष्ण के बाल रूप कान्हा को माखन लाकर खिलाती और वह यह देख कहती कि काश कान्हा हमारे घर भी आ कर ऐसे ही माखन चुराए और खाए तो कितना अच्छा होगा. साथ ही उनकी यह कामना था कि जब कान्हा माखन चुराए तो उनका डरा रूप देख कर जो मन को संतुष्टी मिलती, वह अवसर उन्हें भी मिले. उनका यह उपद्रह देखकर वृंदावन की सभी माताएं खुश हो जाया करती थीं. 

इस पर प्रेमानंद महाराज का कहना है कि भगवान श्री कष्ण यह सब लीला वंदावन की माताओं को उस डरे रूप को दिखाने का लालसा का सुख उन्हें प्रदान करने के लिए किया करते थें. यही वजह है कि कान्हा का नाम माखन चोर पड़ा.

लीलाओं में हैं व्यक्ति की भलाई और सुख का आनंद

प्रेमानंद महाराज का मानना है कि भगवान श्री कष्ण की लीला को हर कोई समझ नहीं पाता, उनकी लीलाएं ठीक उन्हीं की तरह तेढ़ी हैं. यही वजह है कि इन्हें बांके बिहारी कहते हैं और इनकी झांकियां या प्रतिमाएं भी इसलिए ठीक इनकी तेढ़ी लीलाओं के कारण तेढ़ी ही देखने को मिलती है. लेकिन उनकी लीलाओं में व्यक्ति की भलाई और सुख दोनों ही छुपे हुए हैं.

 

{}{}