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Karwa Chauth 2023: पति की दीर्घ आयु के लिए सुहागिनें ऐसे करती हैं कामना, जानें सही पूजा विधि

Karwa Chauth Puja Vidhi: कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन करवा चौथ का व्रत रखा जाता है. इस दिन शाम के समय चंद्रोदय के बाद दर्शन कर उन्हें अर्घ्य देकर पूजा की जाती है और पति की लंबी आयु की कामना की जाती है. 

 
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Shilpa Rana|Updated: Nov 01, 2023, 05:59 PM IST

Karwa chauth 2023: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाने वाला करवा चौथ का व्रत महिलाओं के बीच सर्वाधिक लोकप्रिय है. हर सुहागन स्त्री चाहे वह किसी भी आयु की हो, अपने पति के अच्छे स्वास्थ्य, लंबी आयु और परिवार की मंगल कामना के लिए इस व्रत को करती है. इस पर्व की एक विशेषता यह भी है कि यह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी को किया जाता है. इस व्रत में दिन भर निर्जला रहा जाता है और रात में चांद देखने के बाद ही महिलाएं व्रत को खोलती हैं. कुछ कुंवारी लड़कियां भी सुयोग्य वर की कामना से इस व्रत को रखती है. बड़े शहरों में पुरुष वर्ग भी अपनी पत्नी का बेटर हॉफ बनने की अभिलाषा में व्रत रखने लगे हैं. इस वर्ष यह पर्व पहली नवंबर को होगा. 

सूर्योदय के साथ ही शुरू हो जाता है व्रत

करवा चौथ का व्रत जिसे करक चतुर्थी भी कहा जाता है, को रखने वाली स्त्रियों को प्रातःकाल स्नान आदि के बाद आचमन करके पति, पुत्र तथा सुख सौभाग्य की इच्छा का संकल्प लेकर यह व्रत करना चाहिए. क्योंकि यह व्रत सूर्योदय के साथ ही शुरू हो जाता है इसलिए जो महिलाएं व्रत वाले दिन देर तक बिस्तर पर सोती रहती हैं, उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए. 

मीठा या सगरी की परम्परा 

व्रत के दिन व्रती महिला को सगरी या मीठा खाने की परम्परा है. व्रत शुरु होने के पहले सास अपनी बहू को एक थाली में मिठाई, कपड़े, और श्रृंगार का सामान भेंट करती है. व्रत शुरु होने के पहले इसे खाने और पानी पीने के बाद फिर निर्जला व्रत का संकल्प लिया जाता है. कुछ परिवारों में भाई अपनी बहन या पति अपनी पत्नी को सगरी भेंट करता है.

इस तरह की जाती है पूजा  

इस व्रत में शिव, पार्वती, कार्तिकेय, गणेश जी, तथा चन्द्रमा का पूजन करने का विधान है. महिलाएं चन्द्रोदय के बाद चन्द्रमा के दर्शन कर अर्ध्य देकर ही जल व भोजन ग्रहण करती हैं. पूजा के बाद तांबे या मिट्टी के करवे में चावल, उड़द की दाल, सुहाग का सामान और दक्षिणा रखकर दान करना चाहिए. व्रत की पूर्णता पर सास जी के पांव छूकर फल, मेवा, 14 पूरी या मिठाई का बायना व सुहाग की सारी सामग्री देनी चाहिए. नव विवाहिता के मामले में विवाह के प्रथम वर्ष लड़कियां करवा चौथ का व्रत शुरू करती हैं जिसमें खांड (चीनी) के 14 कलश, एक लोटा, एक पीतल का करवा, फल, मिठाई, बायना तथा सुहाग का सारा सामान मायके से दिया जाता है, बेटी की सास को भी सारी सामग्री तथा साड़ी आदि भेंट की जाती है. इस दिन पति भी अपनी पत्नी को कोई विशेष गिफ्ट देते हैं.  

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 
   

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