Kamakhya Shakti Peeth: हिंदू धर्म में 51 शक्तिपीठ है, जिसमें से एक कामाख्या मंदिर (kamakhya devi mandir) को सभी शक्तिपीठ का महापीठ माना गया है. यह मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध और चमत्कारी भी माना जाता है. मान्यता है कि कामाख्या शक्तिपीठ माता सती ( mata sati) से जुड़ा है. इस मंदिर में मानी गई सभी मनोकामनाएं जरूर पूरी होती है. बता दें कि यह मंदिर असम (Asam) की राजधानी दिसपुर से 10 किलोमीटर दूर है. साथ ही यह मंदिर अघोरियों (Aghori) और तंत्रिक का गढ़ भी माना जाता है.
मंदिर से जुड़ी रोचक बातें
आपको बता दें कि इस मंदिर देवी दुर्गा या उनके किसी भी स्वरूप की मूर्ति नहीं है. हिंदू धर्म (Hindu Religion) में मान्यता है कि यहां कुंड है जिसको हमेशा फूलों से ढक कर रखा जाता है. इस प्रसिद्ध मंदिर में माता की योनि की पूजा की जाती है और इस कुंड से हमेशा जल निकलता रहता है. आइए जानते हैं मंदिर से जुड़ी रोचक तथ्य.
कैसे हुई शक्तिपीठ की उत्पत्ति
हिंदू धर्म पुराण के अनुसार मान्यता है इस शक्तिपीठ की उत्पत्ति तब हुई जब देवों के देव महादेव का माता सति के प्रति मोह भंग करने के लिए विष्णु भगवान ने अपने चक्र से माता सती के 51 भाग किए थे और पृथ्वी लोक में जहां-जहां भाग गिरे वहां पर माता का एक शक्तिपीठ की उत्पत्ति हुई. इसी तरह जहां माता की योनी गिरी उस स्थान को कामाख्या शक्तिपीठ की उत्पत्ति हुई. यहां सालभर श्रद्धालुओं का ताता लगा रहता है लेकिन यहां नवरात्रि के नौ दिन मंदिर में पूजा का विशेष महत्व है. जिसके कारण यहां लाखों की संख्या में भीड़ उमड़ती हैं.
नवरात्रि में लगता है प्रसिद्ध मेला
कामाख्या शक्तिपीठ में हर साल नवरात्रों ( navratri)में अम्बुबाची मेला लगता है जिसके दौरान पास में स्थित ब्रह्मपुत्र नदी ( Bharam putr river) का पानी लाल हो जाता है. मान्यता है माता को मासिक धर्म (Menstrual)होने के कारण ऐसा होता है. इस दौरान माता के दर्शन नहीं होते है और तीन दिन का रजस्वला होता है और कुंड पर सफेद रंग का कपड़े से ढक दिया जाता है. तीन दिन बाद जब मंदिर के दरवाजे खोले जाते है तो सफेद कपड़ा लाल रंग का हो जाता है जिसे अम्बवाची वस्त्र कहा जाता है फिर इस वस्त्र को भक्तों को प्रसाद स्वरूप दिया जाता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)