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Kalashtami 2024: ज्येष्ठ माह की कालाष्टमी पर शुभ मुहूर्त में करें ये सरल उपाय, पूरी हो जाएंगी मुरादें

Kalashtami 2024 Shubh Muhurat: वैदिक पंचांग के अनुसार हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है. इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की पूजा करने का विधान है.

Kalashtami 2024: ज्येष्ठ माह की कालाष्टमी पर शुभ मुहूर्त में करें ये सरल उपाय, पूरी हो जाएंगी मुरादें
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Gurutva Rajput|Updated: May 28, 2024, 11:40 AM IST

Kalashtami 2024 Date: वैदिक पंचांग के अनुसार हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है. इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की पूजा करने का विधान है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार काल भैरव की पूजा करने से दुख, संकट,  काल और क्लेश से मुक्ति मिल जाती है. आइए जानते हैं कि ज्येष्ठ के महीने में कालाष्टमी कब मनाई जाएगी और क्या रहेगा पूजा का शुभ मुहूर्त. साथ ही जानेंगे कि किस सरल उपाय से काल भैरव बाबा प्रसन्न हो सकते हैं.

कब है ज्येष्ठ महीने की कालाष्टमी?
वैदिक पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 30 मई को सुबह 11 बजकर 43 मिनट पर होगी. वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन 31 मई को सुबह 09 बजकर 38 मिनट पर होगा. इसके चलते 30 मई दिन गुरुवार को कालाष्टमी मनाई जाएगी.

पूजा का शुभ मुहूर्त
कालाष्टमी 30 मई को मनाई जाएगी. पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 8 बजकर 32 मिनट से शाम 5 बजकर 40 मिनट तक रहेगा. इस दौरान आप भगवान शिव के रौद्र स्वरूप काल भैरव की पूजा कर सकते हैं. इस बार कालाष्टमी पर बव और बालव करण योग का निर्माण हो रहा है. ये योग पूजा करने के लिए शुभ माना जाता है.

करें ये सरल उपाय
कालाष्टमी पर कालभैरव बाबा का आशीर्वाद पाने के लिए भैरव अष्टक स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं. इस स्तोत्र का पाठ करने से कालभैरव बाबा व्यक्ति से प्रसन्न होते हैं और जीवन के कष्ट कम हो जाते हैं.

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काल भैरव अष्टक (Kaal Bhairav Ashtakam Stotram)

देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं

व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम्।

नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं

काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं

नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम्।

कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं

काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

शूलटङ्कपाशदण्डपाणिमादिकारणं

श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम्।

भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं

काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं

भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम्।

विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं

काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशकं

कर्मपाशमोचकं सुशर्मदायकं विभुम्।

स्वर्णवर्णशेषपाशशोभिताङ्गमण्डलं

काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं

नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम्।

मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं

काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं

दृष्टिपातनष्टपापजालमुग्रशासनम्।

अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं

काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं

काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम्।

नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं

काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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