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Kalashtami 2024: साल 2024 में कब है कालाष्टमी? जानिए इस दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं

Kalashtami pujan: हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार कालाष्टमी 4 जनवरी 2024 को पड़ रही है. धार्मिक मान्यतानुसार कालाष्टमी के दिन कई कामों को करना वर्जित होता है जिससे काल भैरव महाराज क्रोधित होकर आपके जीवन में मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं. चलिए जानते हैं कालाष्टमी के दिन क्या करें और क्या न करें.

Kalashtami 2024: साल 2024 में कब है कालाष्टमी? जानिए इस दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं
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Pooja Attri|Updated: Dec 30, 2023, 06:08 PM IST

Kalashtami 2024 Date: काल भैरव को भगवान शिव का रूप माना जाता है. इसलिए हिंदू धर्म में कालाष्टमी के पूजन का खास महत्व है. कालाष्टमी हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. इस दिन बाबा काल भैरव के पूजन और व्रत का विधान है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार कालाष्टमी 4 जनवरी 2024 को पड़ रही है. धार्मिक मान्यतानुसार कालाष्टमी के दिन कई कामों को करना वर्जित होता है जिससे काल भैरव महाराज क्रोधित होकर आपके जीवन में मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं. चलिए जानते हैं कालाष्टमी के दिन क्या करें और क्या न करें.

क्या करें कालाष्टमी के दिन 
काल भैरव को कालाष्टमी के दिन नींबू की माला अर्पित करें.
फिर आप इस दिन श्रद्धानुसार गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें. 
कालाष्टमी के दिन काल भैरव का विधिपूर्वक पूजन और गुणगान करें. 
काल भैरव को कालाष्टमी के दिन मिठाई और जलेबी का भोग लगाएं.

क्या न करें कालाष्टमी के दिन 
कालाष्टमी के शुभ दिन पर कभी भी किसी का अनादर या अपमान नहीं करना चाहिए. 
इस आपको भूलकर भी मांसाहार और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए. 
भैरव की पूजा के लिए किसी का नाश नहीं करना चाहिए. 
नुकीली चीजों का प्रयोग करने से बचना चाहिए कालाष्टमी के दिन.
कालाष्टमी के दिन पशु-पक्षी को भी भूलकर परेशान नहीं करना चाहिए. 

कालाष्टमी का महत्व
कालाष्टमी का दिन भगवान शिव के रुद्र रुप काल भैरव को समर्पित होता है. इसलिए इस दिन काल भैरव का पूजन और व्रत किया जाता है. धार्मिक मान्यतानुसार जो व्यक्ति कालाष्टमी के दिन पूजा और उपवास करता है तो उसको बाबा काल भैरव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उसके सारे पाप और कष्ट दूर हो जाते हैं. जिन जातकों को रात में डरावने सपने आते हैं उनको कालाष्टमी व्रत के दिन व्रत और पूजन अवश्य करना चाहिए. 

काल भैरव मंत्र

ओम कालभैरवाय नम:
ओम भयहरणं च भैरव:
ओम ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं.
ओम भ्रं कालभैरवाय फट्

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्‍य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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