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Kalashtami 2023: आज काल भैरव पूरी करेंगे हर कामना, कालाष्टमी व्रत के दौरान करें ये काम

Kalashtami Puja Muhurat 2023: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का व्रत रखा जाता है. इस बार कालाष्टमी का व्रत 10 जून यानी आज रखा जाएगा.  आज के दिन विधिपूर्वक पूजा आदि करने से काल भैरव प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर कृपा बरसाते हैं.

 

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shilpa jain|Updated: Jun 10, 2023, 10:13 AM IST

Kalashtami Vrat 2023: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन काल भैरव को समर्पित कालाष्टमी का व्रत रखा जाता है. आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि आज 10 जून के दिन पड़ रही है. मान्यता है कि आज के दिन विधिपूर्वक पूजा करने और पूरी श्रद्धा के साथ व्रत रखने से काल भैरव प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर अपार कृपा बरसाते हैं.

बता दें कि आज के दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की पूजा का विधान है. इस दिन किसी नदी या सरोवर में स्नान करने की परंपरा है. इसके बाद काल भैरव की पूजा की जाती है. अगर किसी पवित्र नदी में स्नान के लिए नहीं जा सकते, तो घर पर ही पानी में पवित्र नदी का पानी डाल कर स्नान कर लें. इससे व्यक्ति के जीवन में सभी परेशानियों का अंत होता है. इतना ही नहीं, व्यक्ति को सभी प्रकार के भय से छुटकारा मिलता है. सुख-साधनों में वृ्द्धि होती है. आइए जानें कालाष्टमी व्रत की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में.  

कालाष्टमी व्रत मुहूर्त 2023

हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 10 जून 2023 को दोपहर 2 बजकर 1 मिनट से शुरू हो रही है और 11 जून दोपहर 12 बजकर 05 मिनट तक अष्टमी तिथि रहेगी. इस दिन बाबा भैरव की पूजा करने से भक्तों पर उनकी कृपा सदैव बनी रहती है.

कालाष्टमी व्रत पूजा-विधि

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कालाष्टमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें. स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद भगवान काल भैरव की पूजा-अर्चना करें. इस दिन भगवान शिव के साथ मां पार्वती और भगवान गणेश की भी पूजा का विधान है. घर के मंदिर में दीपक जलाकर आरती करें. इतना ही नहीं, फिर भगवान को भोगलगां. इस बात का खास ख्याल रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का ही भोग लगाएं.

कालाष्टमी व्रत मंत्र

बता दें कि शिवपुराण में काल भैरव की पूजा के दौरान इन मंत्रों का जाप करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है.

अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्,

भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि!!

अन्य मंत्र

ओम भयहरणं च भैरव:।
ओम कालभैरवाय नम:।
ओम ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।
ओम भ्रं कालभैरवाय फट्।

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

 

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