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Jyeshtha Amavasya पर पूर्वज को प्रसन्न करने के लिए ऐसे करें तर्पण, काम में आ रही बाधाएं दूर करेंगे तृप्त पितर

Amavasya Upay: हिंदू शास्त्रों में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है. इस दिन किए गए कुछ विशेष उपाय पितृ दोष से निजात दिलाते हैं. ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए यूं करें तर्पण. 

 
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shilpa jain|Updated: May 30, 2024, 02:49 PM IST

Jayeshtha Amavasya Upay: हिंदू शास्त्रों में अमावस्या तिथि पर पितरों के निमित तर्पण, श्राद्ध आदि किया जाता है. हर माह के कृष्ण पक्ष की आखिरी तिथि अमावस्या होती है. ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को हिंदू शास्त्रों में बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. बता दें कि ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि के दिन भगवान शनि देव की पूजा का विशेष विधान बताया जाता है.  साथ ही, इस दिन तर्पण का भी खास महत्व है. 

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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पवित्र नदी गंगा जी में स्नान करने के बाद दान आदि करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है. वैदिक पंचांग के अनुसार इस बार ज्येष्ठ माह की अमावस्या पर शिववास होगा और ऐसे में अगर भगवान शिव का रुद्राभिषे किया जाए, तो वे जल्द प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर कृपा बरसाते हैं. इस साल ज्येष्ठ अमावस्या 6 जून 2024 को मनाई जाएगी. इस दिन पितरों का तर्पण करना विशेष रूप से फलदायी माना गया है.  

ज्येष्ठ अमावस्या पर यूं करें तर्पण

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और फिर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. इसके बाद पितरों का स्मरण करें उन्हें काले तिल, सफेद फूल और कुश से तर्पण करें. मान्यता है कि इससे पितर प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति को पितृ दोष से मुक्ति मिलती है. अगर संभव हो, तो घर में ब्रह्माण को बुलाकर पितरों का तर्पण विधिपूर्वक कराएं. पितरों को खीर का भोग लगाए. इस दौरान खीर में इलायची, केशर और शहद जरूर मिलाएं. इस दौरान गोबर से बने उपले से अग्यारी करने के बाद पितरों से क्षमायाचना करें. 

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पितृ दोष के लिए करें ये उपाय

अगर आप कुंडली में पितृ दोष से परेशान हैं, और जल्द ही उससे मुक्ति पाना चाहते हैं, तो सुबह स्नान आदि के बाद पीपल के पेड़ की जड़ में जल अर्पित करें. इससे व्यक्ति को पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और बिगड़े काम बनने लगते हैं. मान्यता है कि पीपल के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं का वास होता है. वहीं, इस पेड़ में पितरों का भी वास होता है.  

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

 

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