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कब है जया एकादशी, 19 या 20 फरवरी? बन रहा शुभ योगों का संयोग, जानें पूजा का मुहूर्त

Jaya Ekadashi 2024: माघ महीने के शुक्‍ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी कहते हैं. मान्‍यता है कि जया एकादशी का व्रत करने से स्‍वर्ग की प्राप्ति होती है. इस बार जया एकादशी पर 2 शुभ योग बन रहे हैं. 

कब है जया एकादशी, 19 या 20 फरवरी? बन रहा शुभ योगों का संयोग, जानें पूजा का मुहूर्त
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Shraddha Jain|Updated: Feb 16, 2024, 02:06 PM IST

Ekadashi February 2024: हिंदू धर्म में सभी एकादशी तिथि भगवान विष्‍णु को समर्पित हैं. इनमें से कुछ एकादशी तिथि को विशेष महत्‍व दिया गया है. जया एकादशी भी इन विशेष एकादशी में से एक है. माघ शुक्‍ल एकादशी को जया एकादशी कहते हैं. जया एकादशी के दिन व्रत रखना और भगवान विष्‍णु की विधि-विधान से पूजा करना अपार लाभ देता है. धर्म-शास्‍त्रों के अनुसार जया एकादशी की व्रत-पूजा करना स्‍वर्ग की प्राप्ति कराता है. शास्त्रों में बताया गया है कि जो व्यक्ति श्रद्धा पूर्वक जया एकादशी व्रत करता है, वह मृत्यु के बाद भूत-प्रेत नहीं बनता. वह जल्‍द ही स्‍वर्ग में स्‍थान पाता है. 

जया एकादशी 2024 कब है 

पंचांग के अनुसार माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 19 फरवरी 2024 की सुबह 08 बजकर 49 मिनट पर शुरू होकर अगले दिन 20 फरवरी 2024 की सुबह 09 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगी. उदयातिथि के अनुसार जया एकादशी का व्रत 20 फरवरी मंगलवार को रखा जाएगा. 

जया एकादशी शुभ योग एवं पूजा मुहूर्त 

इस साल जया एकादशी पर शुभ योग और प्रीति योग जैसे शुभ योग का संयोग बन रहा है. इन योगों को पूजा-अनुष्‍ठान के लिए बहुत शुभ माना गया है. वहीं पूजा के लिए अभिजीत मुहूर्त 20 फरवरी की दोपहर 12 बजकर 12 मिनट से 12 बजकर 58 मिनट तक रहेगा. इस मुहूर्त में पूजा करने से भगवान विष्‍णु की अपार कृपा होती है. जया एकादशी व्रत का पारण समय 21 फरवरी 2024 की सुबह 06 बजकर 55 मिनट से सुबह 09 बजकर 11 मिनट तक रहेगा. 

जया एकादशी व्रत-पूजा विधि

जया एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्‍नान करें. फिर भगवान विष्‍णु का स्‍मरण करके व्रत का संकल्‍प लें. इसके बाद शुभ मुहूर्त में भगवान विष्‍णु की पूजा करें. इसके लिए चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं. उस पर भगवान विष्‍णु की तस्‍वीर स्‍थापित करें. फिर पीले चंदन, अक्षत, धूप-दीप, पीले फूल आदि से विष्‍णु जी की पूजा करें. भगवान विष्‍णु को घी का दीपक जलाएं और उसमें एक चुटकी हल्‍दी मिला लें. ऐसा करने से सुख-सौभाग्‍य की प्राप्ति होती है. इसके बाद पीपल के पत्ते पर दूध और केसर से बनी मिठाई और केले अर्पित करें. फिर शाम को तुलसी के पौधे के सामने दीपक जलाएं. गरीबों को केले, मिठाई आदि बांटें. भगवान विष्णु के साथ लक्ष्मी माता का भी पूजन करें. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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