trendingNow12337969
Hindi News >>धर्म
Advertisement

Muharram 2024: इस्‍लामिक कैलेंडर में मातम के महीने का क्‍या मतलब है? वजह भी जान लें

Islamic New Year 2024: आमतौर पर दुनिया के तमाम धर्मों में नए वर्ष की शुरुआत जश्‍न मनाकर, पूजा-पाठ आद‍ि के साथ खुशी से की जाती है. लेकिन इस्‍लाम में नए साल का आगाज शोक के साथ होता है. 

Muharram 2024: इस्‍लामिक कैलेंडर में मातम के महीने का क्‍या मतलब है? वजह भी जान लें
Stop
Shraddha Jain|Updated: Jul 16, 2024, 09:34 AM IST

Muharram 2024 Date: अंग्रेजी वर्ष की शुरुआत 1 जनवरी से होती है तो हिंदू धर्म गुड़ी पड़वा और पारसी नवरोज मनाकर नए वर्ष का स्‍वागत करते हैं. आमतौर पर दुनिया के तमाम धर्मों में नए वर्ष की शुरुआत ऐसे ही खुशी, जश्‍न और उल्‍लास से होती है. लेकिन इस्‍लाम में ऐसा नहीं है. इस्‍लामिक नए वर्ष की शुरुआत शोक या गम मनाकर की जाती है. 

शहादत की याद में निकाले जाते हैं ताजिए 
  
इस्लामी साल हिजरी का पहला महीना मुहर्रम होता है. मुहर्रम के महीने की 10 तारीख को इस्लाम के आखिरी पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए ताजिये निकाले जाते हैं. इस्‍लाम में इस दिन को रोज-ए-आशुरा (Roz-e-Ashura) कहते हैं. मुहर्रम का यह दिन सबसे अहम होता है. इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग जुलूस निकालकर हुसैन की शहादत को याद करते हैं. साथ ही 10वें मुहर्रम पर रोजा रखते हैं. 

इस्‍लाम की रक्षा के लिए त्‍यागे थे प्राण 

मान्‍यता है कि 10वें मोहर्रम के दिन ही इस्‍लाम की रक्षा के लिए हजरत इमाम हुसैन ने अपने प्राण त्‍याग दिए थे. इस्‍लामी मान्‍यताओं के अनुसार इराक में यजीद नाम का जालिम बादशाह इंसानियत का दुश्मन था. यजीद खुद को खलीफा मानता था, लेकिन अल्‍लाह पर उसका कोई विश्‍वास नहीं था. वह चाहता था कि हजरत इमाम हुसैन उसके खेमे में शामिल हो जाएं. लेकिन हुसैन को यह मंजूर नहीं था और उन्‍होंने यजीद के विरुद्ध जंग का ऐलान कर दिया था. पैगंबर-ए इस्‍लाम हजरत मोहम्‍मद के नवासे हजरत इमाम हुसैन को कर्बला में परिवार और दोस्तों के साथ शहीद कर दिया गया था. जिस महीने हुसैन और उनके परिवार को शहीद किया गया था वह मुहर्रम का ही महीना था.

रोजे-इबादत का दिन
 
यही वजह है कि मुसलमान मुहर्रम में मातम मनाते हैं और अपनी हर खुशी का त्‍याग कर देते हैं. इस दिन काले रंग के कपड़े पहने जाते हैं. मुसलमान रोजे रखते हैं और मस्जिदों-घरों में इबादत करते हैं. खुद को धारदार हथियारों से जख्‍मी करते हैं. बता दें कि वर्तमान में कर्बला इराक का प्रमुख शहर है जो राजधानी बगदाद से 120 किलोमीटर दूर है. मक्‍का-मदीना के बाद कर्बला ही मुस्लिम धर्म के अनुयायियों के लिए प्रमुख स्‍थान है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Read More
{}{}