New Year 2024: चंद घंटों में नए साल 2024 की शुरुआत होने वाली है. 31 दिसंबर के खत्म होते ही रात 12 बजे पूरी दुनिया नए साल का स्वागत करेगी. इस दिन पूरे विश्व में पुराने साल को अलविदा कहने और नए साल का स्वागत करने के लिए 1 जनवरी को जश्न बनाया जाता है. लेकिन क्या आपको पता है आखिर 1 जनवरी से ही नए साल की शुरुआत क्यों होती है? आखिर क्यों जनवरी से ही साल के पहले महीने की शुरुआत होती है? कैसे हुई थी कैलेंडर की रचना? चलिए यहां जानते हैं इन सारे सवालों के जवाब और इससे जुड़ा रोचक इतिहास.
क्यों मनाते हैं 1 जनवरी को नया साल
रोमन साम्राज्य में कैलेंडर का चलन 45 ईसा पूर्व में हुआ था. रोमन कैलेंडर में रोम के तत्कालीन राजा नूमा पोंपिलुस के वक्त में 10 महीने हुआ करते थे. इस समय हफ्ते में 8 दिन और सालभर में 310 दिन होते हैं. फिर समय बाद नूमा ने कैलेंडर में बदलाव के बाद कैलेंडर का पहला महीना जनवरी को माना गया. इसी के चलते 1582 ई. के ग्रेगेरियन कैलेंडर की शुरुआत के बाद 1 जनवरी को नया साल मनाने का चलन शुरु हुआ.
जनवरी कैसे बना साल का पहला महीना
सन 1582 से पहले मार्च से वसंत ऋतु से नए साल की शुरुआत होती थी. लेकिन नूमा के फैसले के बाद से नए साल की शुरुआत जनवरी से से होने लगी. दरअसल रोमन देवता मार्स जोकि युद्ध के देवता थे के नाम पर मार्च महीने का नाम रखा गया था. वहीं जनवरी महीने का नाम रोमन देवता जेनस के नाम पर रखा गया था. जिनके 2 मुंह थे. उनके आगे वाले मुंह से शुरुआत और पीछे वाले से अंत माना जाता था. फिर नूमा ने साल की शुरुआत के लिए जेनस देवता का चनाव किया. तब से जनवरी को ही साल का पहला महीना माना जाता है.
कैसे बना ग्रेगोरियन कैलेंडर?
रोमन के राजा जूलियस सीजर ने जीसस क्राइस्ट के जन्म से 46 साल पहले नई गणनाओं के आधार पर नया कैलेंडर निर्मित किया. इसके बाद से ही 1 जनवरी से नए साल के शुरुआत की घोषणा गसीजर ने की. इनकी गणना के आधार पर पृथ्वी 6 घंटे सूर्य की परिक्रमा करती है और साल में 365 दिन होते हैं. लेकिन जब कैलेंडर में जनवरी और फरवरी माह जोड़ा गया तो सूर्य की गणना के साथ तालमेल सही नहीं बैठ पाया. इसके बाद खगोलविदों ने इस पर कई रिसर्च किए.
सूर्य चक्र या चंद्र चक्र की गणना के आधार पर ही किसी कैलेंडर की रचना होती है. सूर्य के चक्र के आधार पर बने कैलेंडर में 365 दिन होते हैं. वहीं चंद्र के आधार पर बने कैलेंडर में 354 दिन होते हैं. ग्रिगोरियन कैलेंडर सूर्य की गणना पर आधारित है. ऐसे में ज्यादातर देशों में ग्रेगोरियन कैलेंडर को ही मान्यता दी जाती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)