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Guruwar ke upay: गुरुवार के दिन इस अचूक उपाय को करने से पूरी होती है मनचाही मुराद

Vishnu chalisa: धार्मिक मान्यतानुसार श्रीहरि विष्णु के पूजन से व्यक्ति को जीवन में सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. अगर आप भी भगवान विष्णु के कृपा पात्र बनना चाहते हैं तो बृहस्पतिवार के दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु का पूजन, आरती और विष्णु चालीसा का पाठ अवश्य करें. 

Guruwar ke upay: गुरुवार के दिन इस अचूक उपाय को करने से पूरी होती है मनचाही मुराद
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Pooja Attri|Updated: Jan 04, 2024, 12:32 PM IST

Vishnu chalisa and Aarti: गुरुवार का दिन श्रीहरि विष्णु और देवगुरु बृहस्पति को समर्पित होता है. इसलिए इस दिन पूरे विधि-विधान से भगवान विष्णु का पूजन और व्रत किया जाता है. देवगुरु बृहस्पति को सुखों के कारक माना जाता है इसलिए अगर आप अपने बिजनेस और करियर में ऊंचा मुकाम हासिल करना चाहते हैं तो कुंडली में गुरु ग्रह का मजबूत होना बेहद आवश्य है. ऐसे में अगर आप कुंडली में गुरु ग्रह को मजबूत करना चाहते हैं तो ज्योतिष शास्त्र के अनुसार श्रीहरि विष्णु का पूजन करना सर्वोपरि है. धार्मिक मान्यतानुसार श्रीहरि विष्णु के पूजन से व्यक्ति को जीवन में सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है और उसके जीवन से दुख और संकटों का नाश हो जाता है. ऐसे में अगर आप भी भगवान विष्णु के कृपा पात्र बनना चाहते हैं तो बृहस्पतिवार के दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु का पूजन, आरती और विष्णु चालीसा का पाठ अवश्य करें. इसके साथ ही इस दिन पीले वस्त्र धारण करके पीले फूल, फल, 
हल्दी, कुमकुम, खीर और अक्षत आदि चढ़ाएं.

श्री विष्णु चालीसा

दोहा
विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।
कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥

चौपाई
नमो विष्णु भगवान खरारी, कष्ट नशावन अखिल बिहारी ।
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी, त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥
सुन्दर रूप मनोहर सूरत, सरल स्वभाव मोहनी मूरत ।
तन पर पीताम्बर अति सोहत, बैजन्ती माला मन मोहत ॥
शंख चक्र कर गदा विराजे, देखत दैत्य असुर दल भाजे ।
सत्य धर्म मद लोभ न गाजे, काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥
सन्तभक्त सज्जन मनरंजन, दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ।
सुख उपजाय कष्ट सब भंजन, दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥
पाप काट भव सिन्धु उतारण, कष्ट नाशकर भक्त उबारण ।
करत अनेक रूप प्रभु धारण, केवल आप भक्ति के कारण ॥
धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा, तब तुम रूप राम का धारा ।
भार उतार असुर दल मारा, रावण आदिक को संहारा ॥
आप वाराह रूप बनाया, हिरण्याक्ष को मार गिराया ।
धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया, चौदह रतनन को निकलाया ॥
अमिलख असुरन द्वन्द मचाया, रूप मोहनी आप दिखाया ।
देवन को अमृत पान कराया, असुरन को छवि से बहलाया ॥
कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया, मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया ।
शंकर का तुम फन्द छुड़ाया, भस्मासुर को रूप दिखाया
वेदन को जब असुर डुबाया, कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया ।
मोहित बनकर खलहि नचाया, उसही कर से भस्म कराया ॥
असुर जलन्धर अति बलदाई, शंकर से उन कीन्ह लड़ाई ।
हार पार शिव सकल बनाई, कीन सती से छल खल जाई ॥
सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी, बतलाई सब विपत कहानी ।
तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी, वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥
देखत तीन दनुज शैतानी, वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ।
हो स्पर्श धर्म क्षति मानी, हना असुर उर शिव शैतानी ॥

भगवान विष्णु की आरती
ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥
ओम जय जगदीश हरे...॥

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्‍य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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