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Ganga Saptami 2024: गंगा जी में करने जा रहे हैं स्नान तो भूलकर भी न डालें ये चीजें, वरना परेशानियों से घिर जाएगा जीवन

Ganga Ji Upay: हिंदू धर्म शास्त्रों में गंगा सप्तमी का दिन बेहद खास और शुभ माना गया है. इस दिन लोग देवी मां गंगा की पूजा करते हैं. बता दें कि वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन मनाया जाता है. इस दिन गंगा मां की पूजा की जाती है. 

 
ganga saptami 2024
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shilpa jain|Updated: May 09, 2024, 03:14 PM IST

Ganga Saptami Remedies: सनातन धर्म में हर तिथि का अपना अलग महत्व है. वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि का दिन भी हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है. दरअसल इस दिन गंगा सप्तमी मनाई जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार गंगा सप्तमी 14 मई 2024 के दिन पड़ रही है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन गंगा मां की पूजा का विधान है. कहते हैं कि इस दिन मां गंगा की पूजा करने और गंगा जी में स्नान करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है. 

धार्मिक मान्यता है कि गंगा सप्तमी के दिन ब्रह्मा जी के कमंडल से गंगा जी निकली थी. इसलिए इस दिन को गंगा सप्तमी के नाम से जाना जाता है. इस दिन गंगाजल से जुड़े कुछ उपाय व्यक्ति को परेशानियों और कष्टों से छुटकारा दिलाते हैं. जानें इस दिन गंगा स्नान के समय किन चीजों को गंगा जी में अर्पित नहीं करनी चाहिए.

गंगा सप्तमी की तिथि और समय 

हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि की शुरुआत 13 मई शाम 05 बजकर 20 मिनट पर होने जा रही है और इसका समापन 14 मई शाम 6 बजकर 49 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार 14 मई को गंगा सप्तमी का पर्व मनाया जाएगा. 

गंगा जी में न डालें ये चीजें 

- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गंगा सप्तमी पर गंगा जी में अस्थियां डालने से बचें.

- वहीं, इस दिन गंगा जी में पुराने वस्त्र आदि भी न डालें.

- गंगा जी में शैंपू, साबुन आदि डालने से भी परहेज करें. 

- गंगा सप्तमी के दिन पहले की रखी हवन सामग्री या फिर पूजा की सामग्री डालने से भी बचें. 

- गंगा सप्तमी पर गंगा जी की पवित्रता का खास ख्याल रखने पर हीमां गंगा का आशीर्वाद प्राप्त होता है. 

- अगर आर गंगा सप्तमी पर गंगा जी में स्नान कर रहे हैं, तो इस दिन स्नान करते समय मां गंगा का ध्यान करें. 

- गंगा सप्तमी के दिन गंगा जी में अशुद्ध चीजें भूलकर न डालें. 

गंगा सप्तमी पर करें मां गंगा की स्तुति

गांगं वारि मनोहारि मुरारिचरणच्युतम् । त्रिपुरारिशिरश्चारि पापहारि पुनातु माम् ॥

देवि सुरेश्वरि भगवति गङ्गे त्रिभुवनतारिणि तरलतरङ्गे । शङ्करमौलिविहारिणि विमले मम मतिरास्तां तव पदकमले ॥

भागीरथि सुखदायिनि मातस्तव जलमहिमा निगमे ख्यातः नाहं जाने तव महिमानं पाहि कृपामयि मामज्ञानम्

हरिपदपाद्यतरङ्गिणि गङ्गे हिमविधुमुक्ताधवलतरङ्गे दूरीकुरु मम दुष्कृतिभारं कुरु कृपया भवसागरपारम्

तव जलममलं येन निपीतं परमपदं खलु तेन गृहीतम् । मातर्गङ्गे त्वयि यो भक्तः किल तं द्रष्टुं न यमः शक्तः ॥ 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

 

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