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जया एकादशी 2023: भूत-प्रेत से है इस दिन का विशेष संबंध! जरूर कर लें ये काम वरना बहुत पछताएंगे

Jaya Ekadashi Vrat 2023 Date in Hindi: जया एकादशी व्रत कल 1 फरवरी 2023 को रखा जाएगा. महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्‍ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को जया एकादशी व्रत रखने के लिए कहा था और खुद इसकी कथा सुनाई थी. 

फाइल फोटो
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Zee News Desk|Updated: Jan 31, 2023, 11:16 AM IST

Jaya Ekadashi Vrat Katha : जया एकादशी का व्रत रखने से भगवान विष्‍णु और भगवान शिव दोनों की कृपा बरसती है. जया एकादशी व्रत इतना अहम है कि महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्‍ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को यह व्रत रखने के लिए कहा था और खुद इसकी महिमा बताते हुए कथा भी सुनाई थी. जया एकादशी व्रत कथा में अप्सरा पुष्पवती और माल्यवान की कथा का वर्णन किया गया है. पद्म पुराण में यह कथा बताई गई है. इस साल जया एकादशी व्रत 1 फरवरी 2023, बुधवार को रखा जाएगा. 

पूर्वजों को मिलती है भूत-पिशाच योनि से मुक्ति 

जया एकादशी व्रत रखने से आत्‍माओं को भूत-पिशाच योनि से मुक्ति मिलती है. लिहाजा दुर्भाग्‍य से कोई पितर या पूर्वज भूत-पिशाच योनि में धरती पर भटक रहा हो तो किसी परिजन द्वारा जया एकादशी व्रत रखने, विधि-विधान से पूजा करने से और कथा सुनने से उसे भूत-पिशाच योनि से मुक्ति मिलती है. इससे परिवार में सुख-शांति आती है और कई तरह के कष्‍टों से मुक्ति मिलती है. वरना पितरों की भटकती आत्‍माएं बहुत कष्‍ट देती हैं. 

जया एकादशी व्रत कथा 

पद्म पुराण की प्रसिद्ध कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को जया एकादशी व्रत की महिमा को बताई थी. इसके अनुसार स्‍वर्ग में देवराज इंद्र समेत सभी देवता सुखपूर्वक रहते थे. एक दिन इंद्र देव अप्‍सराओं के साथ सुंदरवन में विहार कर रहे थे, उनके साथ अप्सरा पुष्पवती और गंधर्व माल्यवान भी थे. तभी अप्‍सरा पुष्‍पवती गंधर्व माल्यवान को देख कर उन पर मोहित हो गई. माल्यवान भी मंत्रमुग्ध हो गए. हालांकि वे दोनों इंद्र देव को प्रसन्न करने के लिए नृत्य और गायन कर रहे थे. लेकिन वे दोनों एक-दूसरे में खो गए और नृत्‍य-गायन पर ध्‍यान नहीं दे पाए. तब इंद्र देव ने इसे अपना समझकर उन्‍हें पिशाच योनि में धरती पर रहने का श्राप दे दिया. 

श्राप के कारण माल्यवान और पुष्पवती हिमालय पर कष्‍टदायी जीवन जीने लगे. इसी दौरान माघ शुक्ल पक्ष की जया एकादशी के दिन दुख से व्‍यथित माल्यवान और पुष्पवती ने कुछ नहीं खाया और पीपल के पेड़ के नीचे बैठ कर जागते हुए पूरी रात काट दी. पूरी रात वे भगवान से पिशाच योनि से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना करते रहे. इस तरह जया एकादशी व्रत के पुण्य प्रभाव से सुबह होते ही वे पिशाच योनि से मुक्त हो गए और फिर से सुंदर शरीर प्राप्‍त करके स्‍वर्ग लोक चले गए. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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