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Conch: बद्रीनाथ धाम में आखिर क्यों नहीं बजाया जाता शंख? मान्यता पौराणिक है जिसमें छिपा है गहरा विज्ञान

Conch and Lord Vishnu: भगवान विष्णु को शंख (Conch) बेहद प्रिय है. शंख की ध्वनि उन्हें प्रिय है. यहां तक कि द्वापर में अपने कृष्ण अवतार में भी उन्होंने पांचजन्य नाम के शंख को अपने साथ रखा था. लेकिन ये जानकार आपको शायद हैरानी हो कि उनके एक मुख्य धाम बद्रीनाथ में शंख नहीं बजाया जाता.

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Zee News Desk|Updated: Oct 28, 2022, 11:59 AM IST

Badrinath Dham Temple: हिंदू मान्यताओं के हिसाब से चार धामों में से एक बद्रीनाथ (Badrinath Dham Temple) की विशेष महिमा है. भगवान श्री हरि विष्णु स्वयं यहां विराजते हैं. इसलिए इसे धरती का बैकुंठ भी कहा जाता है. बद्रीनाथ धाम में अगर आपको दर्शन करने का सौभाग्य मिला होगा तो आपने गौर किया होगा वहां मंदिर में शंख (Conch) नहीं बजाया है जबकि शंख ध्वनि के फायदों और उसे बजाने से होने वाले फायदों को विज्ञान भी अपनी मान्यता देता है. दरअसल बद्रीनाथ धाम में शंख नहीं बजाए जाने के कई कारण हैं जिसमें  पौराणिक, धार्मिक मान्यताओं के अलावा वैज्ञानिक वजह भी है. ऐसे में अब आप भी जानिए बद्रीनाथ मंदिर में शंख न बजाने की क्या है वजह.

धार्मिक, पौराणिक और वैज्ञानिक मान्यता
यूं तो मंदिरों में भगवान की पूजा-स्तुति के बाद शंख ध्वनि का उद्घोष किया जाता है. पर उत्तराखंड के बद्रीनाथ धाम में शंखनाद नहीं होता है. इसके कई कारण है. आइए एक एक करके बताते हैं कि भगवान विष्णु के इस धाम में ऐसा क्यों नहीं होता है? 

धार्मिक मान्यता
यहां शंख नहीं बजाने के पीछे कुछ धार्मिक मान्यताएं भी हैं. शास्त्रों के वर्णित एक कथा के मुताबिक एक बार मां लक्ष्मी बद्रीनाथ धाम में ध्यान में बैठी थीं. उसी दौरान भगवान विष्णु ने शंखचूर्ण नाम के एक राक्षस का वध किया था. और हिंदू धर्म की मान्यताओं में जीत पर शंखनाद जरूर किया जाता है, लेकिन विष्णु जी लक्ष्मी जी के ध्यान में विघ्न नहीं चाहते थे, इसलिए उन्होंने शंख नहीं बजाया. ऐसी ही एक अन्य पौराणिक कथा के मुताबिक एक मुनि इसी क्षेत्र में कहीं राक्षसों का नाश कर रहे थे. तभी अतापी और वतापी नाम के राक्षस वहां से भाग गए. अतापी जान बचाने के लिए मंदाकिनी नदी की शरण में गया तो वतापी अपने प्राण बचने के लिए शंख के अंदर छिप गया. ऐसे में कहा जाता कि अगर उस समय कोई शंख बजाता, तो असुर उससे निकलकर भाग जाता, इस वजह से बद्रीनाथ धाम में शंख नहीं बजाया जाता है.

वैज्ञानिक कारण

यहां पर पूरे साल ठंड का अहसास होता है. कुछ महीनों को छोड़ दिया जाए तो यहां अक्सर बर्फ देखने को मिलती है. विज्ञान के अनुसार हर जीवित शख्य या कोई ऑब्जेक्ट सबकी अपनी एक फ्रीक्वेंसी होती है. ऐसी स्थितियों में अगर यहां शंख बजाया जाए तो उसकी ध्वनि पहाड़ों से टकराकर प्रतिध्वनि पैदा करती है. इस वजह से बर्फ में दरार पड़ने या फिर बर्फीले तूफान आने की आशंका बन सकती है. वहीं वैज्ञानिकों का कहना है कि खास आवृत्ति वाले साउंड पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं. ऐसा होने पर पहाड़ों में लैंडस्लाइड का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में संभव है कि इसी वजह से इस धाम में शंख नहीं बजाया जाता हो.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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