trendingNow12203873
Hindi News >>धर्म
Advertisement

Chaitra Navratri 7th Day: माता दुर्गा का सातवां स्वरूप हैं मां कालरात्रि, चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन ऐसे करें पूजा

Chaitra Navratri Day 7: कल चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन है. नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा करने का विधान है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कालरात्रि माता को कालों का काल कहा जाता है. इनकी पूजा करने से हर तरह का डर समाप्त हो जाता है.

Chaitra Navratri 7th Day: माता दुर्गा का सातवां स्वरूप हैं मां कालरात्रि, चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन ऐसे करें पूजा
Stop
Gurutva Rajput|Updated: Apr 14, 2024, 03:48 PM IST

Chaitra Navratri 2024: 9 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हुई थी. आज नवरात्रि का छठा दिन है, इस दिन मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा करने का विधान है. कल चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन है. नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा करने का विधान है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कालरात्रि माता को कालों का काल कहा जाता है. इनकी पूजा करने से हर तरह का डर समाप्त हो जाता है.

नवरात्रि के सातवें दिन कैसे करें पूजा (Chaitra Navratri Day 7 Puja Vidhi)
चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन सुबह उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े धारण कर लें. सातवें दिन लाल कपड़े पहनना अत्यंत शुभ माना जाता है. इसके बाद पूजा करने का संकल्प लें. इसके बाद माता रानी को अक्षत, धूप, गंध, पुष्प और गुड़ समेत उनकी प्रिय चीजें अर्पित करें. इसके बाद दुर्गा चालीसा और मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप करें. फिर माता रानी को उनका प्रिय भोग लगाएं.

मां कालरात्रि का प्रिय भोग
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां कालरात्रि को गुड़ से बनी चीजें जैसे मालपुए अत्यंत पसंद होते हैं. इस कारण से नवरात्रि के सातवें दिन मालपुए का भोग लगाना चाहिए. 

मां कालरात्रि मंत्र (Maa Kalratri Mantra)
ॐ देवी कालरात्र्यै नमः॥

मां कालरात्रि का स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

यह भी पढ़ें: Vivah Muhurat 2024: खरमास हुआ खत्‍म, मांगलिक कार्यों की होगी शुरुआत, जानें दिसंबर तक के विवाह मुहूर्त

मां कालरात्रि की आरती (Maa Kalratri Aarti Lyrics)

कालरात्रि जय-जय-महाकाली। काल के मुह से बचाने वाली॥

दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा। महाचंडी तेरा अवतार॥

पृथ्वी और आकाश पे सारा। महाकाली है तेरा पसारा॥

खडग खप्पर रखने वाली। दुष्टों का लहू चखने वाली॥

कलकत्ता स्थान तुम्हारा। सब जगह देखूं तेरा नजारा॥

सभी देवता सब नर-नारी। गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥

रक्तदंता और अन्नपूर्णा। कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥

ना कोई चिंता रहे बीमारी। ना कोई गम ना संकट भारी॥

उस पर कभी कष्ट ना आवें। महाकाली माँ जिसे बचाबे॥

तू भी भक्त प्रेम से कह। कालरात्रि माँ तेरी जय॥

 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Read More
{}{}