trendingNow11289948
Hindi News >>धर्म
Advertisement

Bhishma Vachan: कौरव और पांडवों से पहले कुरुक्षेत्र में हुआ था एक और युद्ध, 3 वर्ष तक चली थी घमासान लड़ाई

Bhishma Pratigya: कुरुक्षेत्र के मैदान को हर कोई इस रूप में जानता है कि यहीं पर कौरवों और पांडवों का युद्ध (Kurukshetra war) हुआ था. यह वही स्थान है जहां पर योगेश्वर वासुदेव श्रीकृष्ण ने अपना विराट रूप दिखाते हुए अर्जुन को गीता उपदेश दिया था. 

भीष्म वचन
Stop
Shashishekhar Tripathi|Updated: Aug 06, 2022, 04:24 PM IST

Bhishma Pledge: कुरुक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण (Lord Shri Krishna) द्वारा दिए गए उपदेशों का ही प्रभाव रहा कि वीर धनुर्धर अर्जुन का बंधु बांधवों के प्रति मोह भंग हुआ और युद्ध करते हुए उन्होंने कौरवों को पराजित किया. हालांकि, बहुत कम लोगों को पता होगा कि इसी कुरुक्षेत्र में एक और बड़ा युद्ध हुआ जो तीन वर्ष तक चला. यह युद्ध हुआ था हस्तिनापुर नरेश राजा शांतनु के पुत्र चित्रांगद और गन्धर्वराज चित्रांगद के बीच.

सत्यवती ने दो पुत्रों को दिया था जन्म 

सत्यवती से विवाह करने के बाद राजा शांतनु (Raja Shantanu) के चित्रांगद (Chitrangad) और विचित्रवीर्य (Vichitravirya) नामक दो पुत्र हुए. दोनों ही बड़े पराक्रमी और होनहार थे. दोनों के युवावस्था में प्रवेश करने के पहले ही राजा शांतनु स्वर्गवासी हो गए. भीष्म ने सत्यवती की सहमति से चित्रांगद को राजगद्दी पर बिठाया. उसने अपने पराक्रम से सभी राजाओं को पराजित कर दिया. वह किसी भी मनुष्य को अपने समान नहीं समझता था.

तीन वर्ष तक चला युद्ध  

गंधर्वराज चित्रांगद ने देखा कि शांतनु नंदन चित्रांगद अपने बल पराक्रम के कारण देवता, मनुष्य और असुरों को नीचा दिखाने का काम कर रहा है. यह बात गंधर्वराज को खराब लगी तो गंधर्वराज ने उसके राज्य पर चढ़ाई कर दी. एक ही नाम के दोनों वीर योद्धाओं के बीच सरस्वती नदी के तट पर कुरुक्षेत्र के मैदान में घमासान युद्ध हुआ.

मायावी था चित्रांगद

यूं तो चित्रांगद बहुत पराक्रमी और बलशाली था किंतु गंधर्वराज चित्रांगद मायावी था. तीन वर्ष तक चले युद्ध में गंधर्वराज चित्रांगद ने युद्ध में मायावी शस्त्रों का इस्तेमाल किया, जिसके सामने राजा चित्रांगद नहीं  टिक सका. युद्ध क्षेत्र में गंधर्वराज ने राजा चित्रांगद को घेरकर मार दिया.

विचित्र वीर्य ने किया शासन

राजा चित्रांगद की मृत्यु के बाद देवव्रत भीष्म ने भाई चित्रांगद का अंत्येष्टि कर्म किया और फिर विचित्र वीर्य को राज सिंहासन पर बिठाया. विचित्र वीर्य तो अभी बालक ही थे फिर भी भीष्म के दिशा-निर्देश पर अपने पैतृक राज्य का शासन करने लगे.   

ये ख़बर आपने पढ़ी देश की नंबर 1 हिंदी वेबसाइट Zeenews.com/Hindi पर

Read More
{}{}