Basant Panchami 2024: भारत में मनाए जाने वाले पर्वों का धार्मिक महत्व तो है ही, उनका पर्यावरण से जुड़ाव भी रहता है. हिंदू पंचांग में तिथियां मौसम के बदलाव का भी संकेत देती हैं. माघ माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है जिसे मां सरस्वती की जयंती भी कहा जाता है.
कब है वसंत पंचमी?
वसंत पंचमी से ही वसंत ऋतु का प्रारंभ शुरू होता है, पेड़ पौधों में पतझड़ समाप्त होने के बाद नई पत्तियों और शाखाओं की कोपलें निकलने लगती हैं. इस बार वसंत पंचमी का पर्व 14 फरवरी बुधवार को मनाया जाएगा, जो सभी के लिए महत्वपूर्ण होता है क्योंकि ज्ञान और बुद्धि की देवी मां सरस्वती जिन्हें मां शारदा भी कहा जाता है की पूजा अवश्य ही करना चाहिए.
मां सरस्वती की वीणा से मिली लोगों को वाणी
ब्रह्मांड को बनाते समय ब्रह्मा जी ने मनुष्य को बना तो दिया किंतु एक दुविधा थी की चारों ओर सन्नाटा फैला हुआ था. तभी उन्हें एक उपाय सूझा और अपने कमंडल से जल छिड़ककर एक देवी को जन्म दिया. मयूर पर सवार देवी के दो हाथों में वीणा, तीसरे हाथ में पुस्तक और चौथे हाथ में माला थी. उनके जन्म के साथ ही ब्रह्मा जी ने उन्हें वीणा बजाने के लिए कहा तो जैसे ही पहला स्वर निकला, धरती में छाया सन्नाटा खत्म हो गया, हर एक जीव जंतु की वाणी सक्रिय हो गयी और वह बोलने लगे. यहां तक कि जल की धारा भी कल कल की आवाज करने लगी और सब ओर चेतना का संचार हो गया. ब्रह्मा जी की इन मानस पुत्री को ही मां सरस्वती कहा गया जो ज्ञान और बुद्धि की प्रदाता भी हैं.
करें ये काम
हर मनुष्य में बुद्धि तो है किंतु वह उसका पूरा उपयोग नहीं कर पाता है. इस दिन खासतौर पर विद्यार्थियों को हर हाल में मां सरस्वती की आराधना करनी चाहिए. इसके अलावा जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा के लिए दान करने से भी मां सरस्वती का आशीर्वाद मिलता है और सद्बुद्धि की प्राप्ति होती है.