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Ram Mandir Ayodhya: अयोध्या राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में इन सुखों की प्राप्ति के लिए होगा 9 हवन कुंडों का निर्माण

Ram Mandir Updates: अयोध्या में बन रहे राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा साल 2024 में 22 जनवरी को होने जा रही है. इस दिन 84 सेकेंड के अभिजीत मुहूर्त में 9 हवन कुंडों में हवन कराया जाएगा. 

 
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shilpa jain|Updated: Jan 03, 2024, 11:03 AM IST

Ayodhya Ram Mandir News: अयोध्या के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं. बता दें कि राममंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होने जा रही है. ऐसे में यहां पर मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 2 मंडपों का निर्माण किया जा रहा है. वहीं, इसमें 9 हवन कुंड शास्त्री विधि से बनाए जाएंगे. बता दे कि मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए इन कुंडों के बनाने की जिम्मेदारी काशी के विद्वानों को दी गई है. बीते दिन मंगलवार के दिन काशी से अयोध्या के लिए 5 सदस्यों की दल कुंड निर्माण के लिए वहां के लिए रवाना होगा. 

होंगे 2 मंडप और 9 हवन कुंड

बताया जा रहा है कि राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 2 मंडप और 9 हवन कुंडों का निर्माण किया जा रहा है. इसमें 8 कुंड 8 दिशाओं में होंगे, जबकि एक कुंड आचार्य के लिए बनाया जा रहा है. बता दें कि राममंदिर के सामने की भूमि पर इन मंडपों का निर्माण हो रहा है. ये कुंड अलग-अलग आकार  के होंगे, जिसे कर्मकांडी पं. लक्ष्मीकांत दीक्षित के आचार्यत्व में देश तकरीबन 121 वैदिक ब्राह्मण प्राण प्रतिष्ठा मुहूर्त को संपन्न कराएंगे. बताया जा रहा है कि हर कुंड, उसका आकार और हवन का उद्देश्य भी अलग होगा. 

कुंड का आकार और उसका उद्देश्य 

- वृत्ताकार- शांति के लिए

- अर्धचंद्राकार- कल्याण के लिए 
 
- पद्म- स्वास्थ्य, शांति, समृद्धि के लिए 

- चर्तुस्त्र- सर्वसमृद्धि के लिए 

- त्रिकोण- शत्रु पर विजय के लिए

- योनि- संतति के लिए 

- षटकोण- शत्रु नाश के लिए 

- अष्टकोण- उत्तम स्वास्थ्य के लिए 

सुखों की प्राप्ति के लिए होगा आचार्य कुंड का निर्माण

बताया जा रहा है कि कुंड की ज्यामिति एक विज्ञान है, जिससे शुभ फलों की प्राप्ति होगी. इसके निर्माण में लंबाई, चौड़ाई, ऊंचाई और गहराई का विशेष ध्यान रखा जा रहा है. शास्त्री पद्धति में आठों दिशाओं में आठ कुंड बनाए जाएंगे. पूर्व में सर्व सिद्धि दायक चौकोर कुंड, आग्नेय में पुत्र प्राप्ति और कल्याण के लिए योनि कुंड, दक्षिण में कल्याणकारी अर्धचंद्राकार, नैऋत्य में शत्रु नाश के लिए त्रिकोण, पश्चिम में शांति-सुख के लिए वृत्ताकार, वायव्य में मारण और उच्छेद के लिए षडस्त्र कुंड, उत्तर में वर्षा के लिए पद्म कुंड, ईशान में आरोग्य के लिए अष्टासत्र कुंड और ईशान और पूर्व के बीच के सभी सुखों की प्राप्ति के लिए आचार्य कुंड का निर्माण किया जाएगा.

इन चीजों से बनेंगे कुंड 

कुंड के निर्माण में ईंट, बालू, मिट्टी, गोबर, पंचगव्य और सीमेंट आदि सामग्री  का उपयोग किया जा रहा है.  

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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