Ayodhya Ram Mandir Pran Pratishtha: हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोगों के लिए नए साल 2024 का महला महीना ऐतिहासिक बनने वाला है. इस महीने में 22 जनवरी को अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर में प्रभु राम की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है. अयोध्या के राम मंदिर के गर्भगृह में प्रभु राम के बाल स्वरूप की प्रतिमा को प्रतिष्ठित किया जाने वाला है. सनातन धर्म में मंदिर में भगवान की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का बेहद महत्व है. धर्म गुरुओं के अनुसार भगवान की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा न की जाए तो पूजा अधूरी मानी जाती है. लेकिन क्या आपको पता है आखिर मंदिर की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा क्यों की जाती है? नहीं, चलिए आज हम आपको बताएंगे मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा क्यों की जाती है और क्या है इसका धार्मिक महत्व.
प्राण प्रतिष्ठा क्या है?
हिंदू धर्म में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का बेहद महत्व है. किसी भी मूर्ति की स्थापना के लिए प्राण प्रतिष्ठा अवश्य की जाती है. जब किसी मूर्ति की स्थापना के वक्त उसको जीवन करने की विधि
प्राण प्रतिष्ठा कहलाती है. प्राण का मतलब जीवन शक्ति होता है, वहीं प्रतिष्ठा का मतलब स्थापना होता है. ऐसे में जीवन में देवता को लाना या जीवन शक्ति की स्थापना करना प्राण प्रतिष्ठा का अर्थ होता है.
जानिए प्राण प्रतिष्ठा का महत्व
हिंदू धर्म में प्राण प्रतिष्ठा करना बेहद जरूरी होता है क्योंकि ऐसा किए बिना कोई भी मूर्ति पूजा योग्य नहीं मानी जाती है. मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा की विधि द्वारा जीवन शक्ति का संचार किया जाता है जिससे उसको देवता के रूप में बदला जाता है. इस विधि के बाद मूर्ति पूजा योग्य बन जाती है. फिर इसके बाद मूर्ति में मौजूद देवी-देवता का विध-विधान से पूजन, अनुष्ठान और मंत्रों का जाप किया जाता है. मान्यतानुसार मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठित होने के बाद खुद भगवान उसमें मूर्ति में उपस्थित हो जाते हैं. लेकिन प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान सही तारीख और शुभ मुहूर्त में ही होना जरूरी होता है. प्राण प्रतिष्ठा को बिना मुहूर्त के करने से शुभफल की प्राप्ति नहीं होती.
इस विधि से होती है प्राण प्रतिष्ठा
प्राण प्रतिष्ठा करने से पहले मूर्ति को गंगाजल या पवित्र नदियों के जल से स्नान कराया जाता है. इसके बाद उसको अच्छी तरह से पोंछकर नए कपड़े पहनाए जाते हैं. फिर मूर्ति को साफ-सुथरे स्थान पर रखकर चंदन का लेप लगाकर श्रृंगार करके सजाया जाता है. इसके बाद बीज मंत्रों का पाठ करके प्राण प्रतिष्ठा की विधि शुरु की जाती है. इस दौरान पंचोपचार कर विधिपूर्वक भगवान की पूजा की जाती है. आखिर में आरती करके लोगों को प्रसाद बांटा जाता है.
ये हैं प्राण प्रतिष्ठा के मंत्र
मानो जूतिर्जुषतामाज्यस्य बृहस्पतिर्यज्ञमिमं, तनोत्वरिष्टं यज्ञ गुम समिमं दधातु विश्वेदेवास इह मदयन्ता मोम्प्रतिष्ठ ।।
अस्यै प्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणाः क्षरन्तु च अस्यै, देवत्व मर्चायै माम् हेति च कश्चन ।।
ॐ श्रीमन्महागणाधिपतये नमः सुप्रतिष्ठितो भव, प्रसन्नो भव, वरदा भव ।।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)