trendingNow12243902
Hindi News >>ऐस्ट्रो
Advertisement

Ravivar Upay: रविवार को करें ये छोटा सा काम, मनोकामनाएं होंगी पूरी, ग्रह दोष से मिलेगी मुक्ति

Sunday Remedies: सूर्यदेव की पूजा करने से मानसिक शांति, ऊर्जा और जीवन में सफलता का आशीर्वाद मिलता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो भी व्यक्ति विधि विधान से सूर्यदेव की पूजा करता है उसके जीवन के कष्ट दूर होते हैं.

Ravivar Upay: रविवार को करें ये छोटा सा काम, मनोकामनाएं होंगी पूरी, ग्रह दोष से मिलेगी मुक्ति
Stop
Gurutva Rajput|Updated: May 11, 2024, 05:08 PM IST

Ravivar Upay: हिन्दू धर्म में सप्ताह के 7 दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होता है. इसी तरह रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित है. सूर्यदेव की पूजा करने से मानसिक शांति, ऊर्जा और जीवन में सफलता का आशीर्वाद मिलता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो भी व्यक्ति विधि विधान से सूर्यदेव की पूजा करता है उसके जीवन के कष्ट दूर होते हैं और आत्मविश्वास की बढ़ोतरी होती है.

करें श्री सूर्य अष्टकम् का पाठ
रविवार का दिन सूर्यदेव की पूजा करने के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. इस दिन आप श्री सूर्य अष्टकम् का पाठ कर सूर्यदेव की कृपा पा सकते हैं. मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस स्तोत्र का पाठ श्रद्धाभाव से करता है उसके जीवन में सुख, शांति, समृद्धि का वास होता है. इसके अलावा सूर्यदेव मनोकामनाएं पूरी करने के साथ-साथ ग्रह दोष से मुक्ति दिलाते हैं. निरोगी शरीर पाने के लिए भी इस स्तोत्र का पाठ करना फायदेमंद साबित होता है. विशेष कृपा पाने के लिए आप इस पाठ का 7 रविवार लगातार करें. 

यह भी पढ़ें: Chardham Yatra 2024: यमुनोत्री में भीड़ से बुरा हाल, दूसरे दिन हजारों श्रद्धालुओं ने किए दर्शन, कई जगह फंसे लोग

 

श्री सूर्य अष्टकम् (Surya Ashtakam Lyrics in Hindi)

आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर ।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते॥1॥

सप्ताश्व रथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्मजम् ।
श्वेत पद्माधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥2॥

लोहितं रथमारूढं सर्वलोक पितामहम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥3॥

त्रैगुण्यश्च महाशूरं ब्रह्माविष्णु महेश्वरम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥4॥

बृहितं तेजः पुञ्ज च वायु आकाशमेव च ।
प्रभुत्वं सर्वलोकानां तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥5॥

बन्धूकपुष्पसङ्काशं हारकुण्डलभूषितम् ।
एकचक्रधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥6॥

तं सूर्यं लोककर्तारं महा तेजः प्रदीपनम् ।
महापाप हरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥7॥

तं सूर्यं जगतां नाथं ज्ञानप्रकाशमोक्षदम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥8॥

सूर्याष्टकं पठेन्नित्यं ग्रहपीडा प्रणाशनम् ।
अपुत्रो लभते पुत्रं दारिद्रो धनवान् भवेत् ॥9॥

अमिषं मधुपानं च यः करोति रवेर्दिने ।
सप्तजन्मभवेत् रोगि जन्मजन्म दरिद्रता ॥10॥

स्त्री-तैल-मधु-मांसानि ये त्यजन्ति रवेर्दिने ।
न व्याधि शोक दारिद्र्यं सूर्य लोकं च गच्छति ॥11॥

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Read More
{}{}