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जानें क्या है मकर संक्रांति पर प्रयागराज संगम में नहाने का महत्व

Makar Sankranti: मकर संक्रांति पर प्रयागराज में संगम पर स्नान करने का बहुत ही महत्व है. इस दिन तिलांजलि देने से पूर्वजों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है.

जानें क्या है मकर संक्रांति पर प्रयागराज संगम में नहाने का महत्व
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Shilpa Rana|Updated: Jan 04, 2024, 01:39 PM IST

Makar Sankranti 2024: पूर्णिमा, अमावस्या, एकादशी और संक्रांति की तिथियों पर पवित्र नदियों में स्नान करने की बात हिंदू धर्म ग्रंथों में कही गई है. इन पवित्र नदियों में भागीरथी अर्थात गंगा के अलावा यमुना, सरस्वती, नर्मदा, कावेरी, गोदावरी आदि हैं. यही कारण है कि प्रमुख तिथियों और पर्वों पर इन पवित्र नदियों के तट पर मेला लगता है जहां श्रद्धालु नदियों में स्नान करने के बाद पूजन और दान आदि के कर्म कर जीवन में सुख समृद्धि और आरोग्य आदि की कामना करते हैं. 

 

मकर संक्रांति

 

जहां तक संक्रांति का विषय है, यह हर महीने में एक बार आती है जब सूर्यदेव एक राशि को छोड़ कर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं और फिर वहां भी वह एक माह तक प्रवास करते हैं. इन संक्रांतियों में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है जब सूर्य धनु राशि छोड़ मकर राशि में पहुंचते हैं. इस बार मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा. 

 

संगम पर स्नान करने का महत्व

 

मकर संक्रांति पर प्रयागराज में संगम पर स्नान करने का बहुत ही महत्व है. माना जाता है कि मकर संक्रांति के अवसर पर जो श्रद्धालु प्रयागराज में संगम में स्नान करते हैं, उन्हें इस पृथ्वी पर बार बार जन्म और मरण से मुक्ति मिल जाती है और मोक्ष को प्राप्त होते हैं. इस दिन तिलांजलि देने से पूर्वजों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है. यही कारण है कि हर आस्थावान हिन्दू जीवन में एक बार मकर संक्रांति पर प्रयागराज के संगम में स्नान करना अपना कर्तव्य समझता है. 

 

चारों धामों की यात्रा का पुण्य 

 

मान्यता है कि प्रयागराज में मकर संक्रांति के पर्व पर संगम स्नान करने से चारों धामों की यात्रा का पुण्य प्राप्त होता है. यूं तो भारत में कई स्थानों पर पवित्र नदियां एक दूसरे से मिल कर संगम बनाती है किंतु प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती का मिलन होता है इसलिए इसे संगम या त्रिवेणी कहा जाता है. माना जाता है कि यहीं पर सरस्वती नदी इन दोनों नदियों में मिल कर विलुप्त हो गई. मकर संक्रांति पर प्रयागराज में स्नान और दान का बहुत ही महत्व है, यह बात तुलसी बाबा ने भी श्री राम चरित मानस में कही है.

 

माघ मकरगत रबि जब होई । 

तीरथपतिहिं आव सब कोई ।⁠।

देव दनुज किंनर नर श्रेनीं । 

सादर मज्जहिं सकल त्रिबेनीं ⁠।⁠।

 

माघ मेले की शुरुआत 

 

अर्थात माघ में जब सूर्य मकर राशि पर जाते हैं, तब सब लोग तीर्थराज प्रयाग को आते हैं. देवता, दैत्य, किन्नर और मनुष्यों के समूह सब आदरपूर्वक त्रिवेणी में स्नान करते हैं. ⁠मकर संक्रांति के स्नान के साथ ही प्रयागराज में माघ मेले का प्रारंभ हो जाता है.

 

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