trendingNow12370611
Hindi News >>ऐस्ट्रो
Advertisement

प्रवेश द्वार से निकलती है भाग्य की राह, टूटे फूटे दरवाजे को देखकर भाग्य नहीं खटखटाता है दरवाजा

Entry Gate Direction as per Vastu: मुख्य द्वार से संपन्नता की राह निकलती है. मुख्य द्वार यदि वास्तु के दृष्टिकोण से सही हो, तो उस घर में रहने वाले लोगों का जीवन सकारात्मक हो जाता है. 

प्रवेश द्वार से निकलती है भाग्य की राह, टूटे फूटे दरवाजे को देखकर भाग्य नहीं खटखटाता है दरवाजा
Stop
Shraddha Jain|Updated: Aug 06, 2024, 12:36 PM IST

Home Entry Gate Vastu : जिस तरह मनुष्य के सेहत बनाने के लिए मुख जरूरी  है, ठीक वैसे ही वास्तु अनुसार  घर में संपन्नता और आर्थिक वृद्धि के लिए मुख्य द्वार की अहम भूमिका है. यदि प्रवेश द्वार सही आकार, रंग और उचित स्थान पर हो, तो उस स्थान पर धन का आगमन निरंतर बना रहता है. ज्‍योतिषाचार्य पंडित शशिशेखर त्रिपाठी से जानते हैं कि प्रवेश द्वार किस दिशा में और कैसा होना चाहिए. 

...वरना बढ़ती है नकारात्‍मकता 

यदि दरवाजे की बनावट, रंग, आकार, ऊंचाई, मोटाई और चौड़ाई आदि के मामले में संतुलित नहीं है, तो लोगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, इसलिए फैक्ट्री, कारखाने, गोदाम, ऑफिस, मंदिर, अस्पताल, प्रशासनिक भवन, बैंक, दुकान तथा निवास स्थान आदि का मुख्य द्वार वास्तु के अनुकूल होना चाहिए, तभी उसमें काम करने वालों की उन्नति भी तय होगी. वास्तु के अनुसार इसकी लाभप्रदता बढ़ाने के लिए  इन बिंदुओं पर ध्यान दिया जा सकता है. 

 

प्रवेश द्वार की सही दिशा

उत्तर दिशा - उत्तरमुखी मकान में आर्थिक संपन्नता रहती है, पैसे का आवागमन भी अच्छा होता है. जिस घर में मुख्य द्वार उत्तर दिशा में होते है, वहां की संताने यानी कि आगे की पीढ़ी भी उन्नति दिशा की ओर बढ़ती है.  पैसा का आना और उसका सही जगह पर प्रयोग होना जैसी चीजों का संतुलन बना रहता है.

पश्चिम दिशा - अगर घर पश्चिम मुखी है, तो मुख्य द्वार भी पश्चिम में ही रखें. इस दिशा में बने मुख्य द्वार से धन संपत्ति अधिक आती है और दूसरी पीढ़ी को भी अधिक लाभ होता है.

इस स्थान पर ना बनाएं प्रवेश द्वार 

दक्षिण- पश्चिम : यदि मुख्य द्वार नैऋत्य कोण यानी कि दक्षिण-पश्चिम के मध्य में है तो शत्रुओं में वृद्धि होती है. अनावश्यक चुनौतियों का सामना  करना पड़ता रहता है. इसके साथ ही पुत्र की गति खराब रहती है. पराक्रम की कमी होने के साथ, बीमारी और पितरों की नाराजगी बढ़ती है.

उत्तर- पश्चिम दिशा : उत्तर- पश्चिम का कॉर्नर जिसको वायव्य कोण कहते  है, इस दिशा में मुख्य द्वार शुभ नहीं माना जाता है. इस दिशा में द्वार होने पर बीमारियां आने लगती है. पैसा रोगों में खर्च होने लगता है.

प्रवेश द्वार का आकार

भवन बनाने के दौरान यह ध्यान रखें, कि मुख्य द्वार घर के अन्य दरवाजों के मुकाबले बड़ा हो. मुख्य द्वार घर की बाउंड्री के अनुसार संतुलित होना चाहिए. यह न तो बहुत बड़ा और न बहुत छोटा होना चाहिए.  प्रवेश द्वार  टूटा फूटा बिलकुल नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह धन आगमन के मार्ग को बंद करने के साथ माता  लक्ष्मी को नाराज करता है.

प्रवेश द्वार की सजावट 

मांगलिक कार्यों व शुभ अवसरों में प्रवेश द्वार को आम के पत्ते व हल्दी तथा चंदन जैसे शुभ एवं कल्याणकारी वनस्पतियों से सजाने से शुभता आती है. 

प्रवेश द्वार के लिए उपयुक्त धातु

बाजार में आजकल कई तरह की धातुओं से बने दरवाजे मिलने लगे हैं, लेकिन लोहे से बने दरवाजों  को शुभ  माना जाता है.  द्वार और बाउंड्री पर सुरक्षा के लिए जो भी नुकीले भाले या त्रिशूल लगाए जाते हैं, उसकी कोई भी नोक भूखंड के अंदर की ओर मुड़ी हुई नहीं होनी चाहिए. 

द्वार की आवाज है, अशुभता का संकेत

दरवाजा खोलते व बंद करते समय आवाज नहीं आनी चाहिए. यदि ऐसा है तो आवाज को दूर करने के लिए उपाय अपनाएं अन्यथा यह आर्थिक प्रगति के मार्ग में रुकावट लाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

Read More
{}{}