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जगन्नाथ पुरी में Akshaya Tritiya से बनने शुरू होंगे 3 रथ, पहले जंगल की देवी से ऐसे मांगी जाती है अनुमति

Jagannath Puri Yatra: ओडीसा के जगन्नाथ पुरी में 7 जुलाई को जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाएगी. इस यात्रा के लिए रथों का निर्माण अक्षय तृतीया के दिन से शुरू होता है. इस यात्रा के लिए हर साल तीन रथ बनते हैं. 

 
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shilpa jain|Updated: May 08, 2024, 12:52 PM IST

Akashaya Tritiya: ओडिशा के जगन्नाथ पुरी में रथ यात्रा की तैयारी अक्षय ततृीया के दिन से शुरू हो रही है. बता दें कि इस दिन रथ यात्रा के लिए तीन रथ बनाने का काम शुरू हो जाता है. विश्व प्रसिद्ध यात्रा के लिए हर साल तीन रथ बनाए जाते हैं, इसके लिए रथों का निर्माण कार्य अक्षय तृतीया के दिन से शुरू होता है. बता दें कि इस बार अक्षय तृतीया 10 मई की पड़ रही है और इस दिन से शुरू होने की तैयारी भी अभी से शुरू हो गई हैं. 

रथ बनाने के लिए 5 फीट लंबे लकड़ी के टुकड़े मंदिर पहुंचने लगे हैं. वहीं, जंगल से लकड़ी चुनने की प्रक्रीया भी बहुत ही दिलचस्प बताई जाती है. बताया जाता है कि रथ बनाने के लिए लकड़ी नया गढ़ जिले के दसपल्ला और महिपुर के जगंलों से लकड़ी लाई जाती है. लेकिन इन जंगलों से हर कोई लकड़ी नहीं काट सकता. 

जंगल की देवी को अर्पित की जाती हैं ये चीजें

ये नयागढ़ बनखंड की देवी बड़ राउल का पूजा स्थल है. इस दौरान जगन्नाथ मंदिर के गजपति ने बताया कि हर साल पौष महीने की छठी को मंदिर जाते हैं और यहां की देवी को भगवान जगन्नाथ की पोशाक और उनके फूल भेंट करते हैं. इतना ही नहीं, देवी से लकड़ी काटने की अनुमति ली जाती है. वहीं, वहां पर इस दौरान विशेष पूजा की जाती है. इसके बाद दो-तीन घंटे भजन कीर्तन किए जाते हैं. 

माली करते हैं जंगल की रखवाली 

बताया जाता है कि अगर पूजा में कोई विघ्न नहीं आता, तो ऐसा माना जाता है कि लकड़ी काटने के लिए मां की अनुमति मिल गई है. इन जंगलों की रखवाली 100 साल से ज्यादा सालों से माली प्रजाति के लोग कर रहे हैं.

ऐसे मांगते हैं माफी 

सही पेड़ के सामने परिवार के सभी लोग माथा टेकते हैं और उन्हें काटने की माफी मांगते हैं. ऐसी मान्यता है कि पूर्वजों ने हजारों सालों से इनकी रखवाली की है. मंदिर के गजपति ने बताया कि यात्रा के बाद तीनों रथों की लकड़ी पुरी में भगवान की रसोई में रखी जाती है. इन्हें ही जलाकर सालभर भगवान के महाप्रसाद बनाने में इनका इस्तेमाल किया जाता है. 

865 लकड़ी के टुकड़ों से बनते हैं रथ 

बताया जाता है कि भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के लिए हर साल अलग-अलग तीन रथ बनाए जाते हैं. और इन्हें बनाने के लिए कुल 865 लकड़ी के टुकड़ों का इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन इस बार 812 लकड़ी के टुकड़ों का ही इस्तेमाल किया जाएगा. बताया जा रहा है कि पिछले साल 53 टुकड़े बच गए थे. अब तक रथ बनाने के लिए करीब 200 टुकड़े मंदिर पहुंच चुके हैं. 

   

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