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Photos: क्या आपने देखा है आधुनिक युग का ये 'पुष्पक' विमान? जो दुनियाभर में मचा रहा धूम, भारत का बज रहा डंका

Pushpak Third Trial: ISRO ने एक और कीर्तिमान स्थापित किया है. उसने दोबारा इस्तेमाल हो सकने वाले विमान की तकनीक का तीसरा परीक्षण भी सफलता पूर्वक पूरा कर लिया है.

 

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सफल रहा पुष्पक का तीसरा ट्रायल
सफल रहा पुष्पक का तीसरा ट्रायल

ISRO ने रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल का तीसरा और अंतिम परीक्षण कर्नाटक के चित्रदुर्ग में एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज में किया गया. तीसरे परीक्षण में प्रक्षेपण यान को ज्यादा ऊंचाई से छोड़ा गया और इस दौरान तेज हवाएं भी चल रहीं थी, इसके बावजूद प्रक्षेपण यान 'पुष्पक' ने पूरी सटीकता के साथ रनवे पर सुरक्षित लैंडिंग की.

 

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साढ़े 4 किमी ऊंचाई से छोड़ा गया
साढ़े 4 किमी ऊंचाई से छोड़ा गया

ISRO के मुताबिक इस बार ज्यादा चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में प्रक्षेपण यान का परीक्षण किया गया जो सभी मानकों पर खरा उतरा. परीक्षण के दौरान वायुसेना के चिनूक हेलीकॉप्टर से प्रक्षेपण यान पुष्पक को साढ़े चार किलोमीटर की ऊंचाई से छोड़ा गया. लैंडिंग के दौरान यान की स्पीड करीब 320 किलोमीटर प्रति घंटे थी. 

 

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260 किमी प्रति घंटे की स्पीड से उतरा
260 किमी प्रति घंटे की स्पीड से उतरा

एक कमर्शियल विमान की लैंडिंग के वक्त स्पीड 260 किलोमीटर प्रति घंटे की थी. एक लड़ाकू विमान की गति करीब 280 किलोमीटर प्रति घंटे होती है. लैंडिंग के वक्त पहले ब्रेक पैराशूट की मदद से प्रक्षेपण यान की गति को घटाकर 100 किलोमीटर प्रति घंटे पर लाया गया और फिर लैंडिंग गीयर ब्रेक की मदद से रनवे पर विमान को रोका गया. 

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भारत ने बना दिए कई रिकार्ड
भारत ने बना दिए कई रिकार्ड

पुष्पक की लैंडिंग के साथ ही भारत ने कई रिकॉर्ड बना दिए. पुष्पक किसी रॉकेट की तरह अंतरिक्ष में जाएगा और वापसी में किसी विमान की तरह रनवे पर लैंड कर जाएगा.  यानी दूसरे रॉकेट जो सिर्फ एक बार इस्तेमाल होते हैं..उनके मुकाबले पुष्पक को बार-बार इस्तेमाल किया जा सकेगा और आज 'पुष्पक की 'हैट्रिक' देखकर पड़ोसियों की जलन जरूर बढ़ गई होगी. 

 

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अंतरिक्ष यात्रियों को भी ले जा सकेगा
अंतरिक्ष यात्रियों को भी ले जा सकेगा

पुष्पक देखने में भले ही आपको छोटा लग रहा हो. हालांकि ये छोटा आकार टेस्टिंग के लिये है. आगे चलकर ये सैटेलाइट के अलावा अंतरिक्ष यात्रियों को भी ले जा सकेगा. इतना ही नहीं. इसकी मदद से पृथ्वी की कक्षा में खराब हुए सैटेलाइट को रिपेयर भी किया जा सकेगा. 

 

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स्पेस सेक्टर में तेजी से आ रहा बदलाव
स्पेस सेक्टर में तेजी से आ रहा बदलाव

अंतरिक्ष में सैटेलाइट लॉन्च करने में अब नई क्रांति आ रही है. बार-बार एक ही रॉकेट का इस्तेमाल करने के पीछे की सोच है महंगे रॉकेट इंजन को बार-बार इस्तेमाल करना..यानी एक ही रॉकेट में सिर्फ ईंधन भरकर ही उसे लॉन्च किया जा सकेगा. दुनिया के सबसे अमीर कारोबारी एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने सबसे पहले इस पर काम करना शुरू किया..किसी रॉकेट पर होनेवाला 90 फीसदी खर्च लॉन्च वेहिकल का होता है.पुष्पक जैसे विमान एक ही इंजन को बार-बार इस्तेमाल करेंगे.इन पर होने वाले खर्च को वसूलेंगे. इससे अंतरिक्ष में सैटेलाइट भेजने का कॉस्ट भी कम हो जाएगा.