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आखिर गिरगिट क्यों और कैसे बदलता है अपना रंग? वजह जान उड़ जाएंगे होश

Why and How Chameleon Change its Colour: आपने अक्सर सुना होगा कि गिरगिर जिस चीज पर बैठते हैं या जहां से गुजरते हैं, वे उस के अनुसार अपना रंग बदल लेते हैं. लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि आखिर वे ऐसा क्यों और कैसे करते हैं.

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हम सभी जानते हैं कि गिरगिट अपनी रंग बदलने की क्षमता के लिए खासतौर पर जाने जाते हैं. लेकिन बता दें कि वे कई कारणों से ऐसा करते हैं. वहीं, उनकी रंग बदलने की क्षमता का प्राथमिक उद्देश्य छलावरण (Camouflage) नहीं होता है, जैसा कि आमतौर पर माना जाता है. बल्कि कम्युनिकेशन, शरीर के तापमान को नियंत्रित करना और भावनाओं और पर्यावरणीय कारकों पर प्रतिक्रिया करना होता है. हम ने नीचे बताया है कि आखिर एक गिरगिट क्यों और कैसे अपने रंग को बदलता है.

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1. कम्युनिकेशन (Communication): एक गिरगिट बाकी अन्य गिरगिटों के साथ कम्युनिकेट करने के लिए अपना रंग बदलता है. वे आक्रामकता, समर्पण या संभोग की तैयारी का संकेत देने के लिए भी रंग बदलते हैं. चमकीले और वायब्रेंट रंग ( Bright and Vibrant Colours) अक्सर उत्तेजना या आक्रामकता का संकेत देते हैं, जबकि गहरे रंग (Darker Colors) समर्पण या संघर्ष से बचने की इच्छा का संकेत देते हैं.

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2. थर्मोरेग्यूलेशन (Thermoregulation): गिरगिट एक्टोथर्मिक होते हैं, जिसका अर्थ है कि वे अपने शरीर के तापमान को नियंत्रित करने के लिए हीट के बाहरी सोर्सेज पर निर्भर होते हैं. रंग बदलने से उन्हें सूर्य के प्रकाश को एजोर्ब या रिफ्लेक्ट करने में मदद मिलती है, जिससे थर्मोरेग्यूलेशन में सहायता मिलती है. गहरे रंग अधिक गर्मी एजोर्ब करते हैं, जबकि हल्के रंग इसे रिफ्लेक्ट करते हैं.

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3. मनोदशा और भावना (Mood and Emotion): गिरगिट अपनी भावनाओं के अनुसार भी रंग बदलते हैं. उदाहरण के लिए, एक तनावग्रस्त या डरा हुआ गिरगिट फीके रंग या गहरे रंग प्रदर्शित कर सकता है. जबकि शांत और संतुष्ट गिरगिट चमकीले और अधिक वायब्रेंट रंग प्रदर्शित करते हैं.

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4. छलावरण (Camouflage): एक गिरगिट अपना रंग बदल सकता है, लेकिन उनकी इस क्षमता का प्राथमिक उपयोग सही छलावरण के लिए नहीं है. बल्कि वे अपने परिवेश के साथ बेहतर ढंग से घुलने-मिलने या संभावित खतरों को कम करने के लिए अपने रंग को बदलते हैं. हालांकि, उनकी रंग बदलने की क्षमता उतनी भी कारगर नहीं है, जितना कुछ लोग मानते हैं, और प्रकाश, तापमान और भावनात्मक स्थिति जैसे कारक अक्सर प्रत्यक्ष छलावरण की तुलना में रंग परिवर्तन में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

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गिरगिट अपनी स्किन सेल्स में पिगमेंट्स की परस्पर क्रिया के माध्यम से रंग बदल पाते हैं. उनके पास क्रोमैटोफोरस नामक के विशेष सेल्स होते हैं, जिनमें मेलेनिन (गहरे रंगों के लिए जिम्मेदार) और गुआनिन क्रिस्टल (इंद्रधनुष और चमकीले रंगों के लिए जिम्मेदार) जैसे पिगमेंट होते हैं. इन सेल्स का एक्सपैंड या कॉन्ट्रैक्ट करके, गिरगिट अपनी स्किन से लाइट को रिफ्लेक्ट करने के तरीके में हेरफेर कर सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप उनके रंग में बदलाव  देखा जा सकता है.





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