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Pakistan Fuel Prices: पाकिस्तान में निकला जनता का 'तेल', सरकारी अफसर ने गधा गाड़ी से दफ्तर आने की मांगी परमिशन

Pakistan Fuel Prices: पाकिस्तान में ईंधन की आसमान छूती कीमतों के कारण लोग त्राहिमाम कर रहे हैं. इसे देखते हुए सिविल एविएशन अथॉरिटी के एक कर्मचारी ने सरकार से काम पर आने-जाने के लिए गधा-गाड़ी के इस्तेमाल की इजाजत मांगी है. पाकिस्तानी अखबार द डॉन के मुताबिक, सिविल एविएशन अथॉरिटी (सीएए) के डायरेक्टर जनरल को लिखे खत में राजा आसिफ इकबाल ने कहा कि महंगाई ने न सिर्फ गरीबों, बल्कि मिडिल क्लास की भी कमर तोड़ दी है.'

पाकिस्तान में आसमान छू रही ईंधन की कीमतें
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Zee News Desk|Updated: Jun 03, 2022, 05:41 PM IST

Pakistan Fuel Prices: पाकिस्तान में ईंधन की आसमान छूती कीमतों के कारण लोग त्राहिमाम कर रहे हैं. इसे देखते हुए सिविल एविएशन अथॉरिटी के एक कर्मचारी ने सरकार से काम पर आने-जाने के लिए गधा-गाड़ी के इस्तेमाल की इजाजत मांगी है. पाकिस्तानी अखबार द डॉन के मुताबिक, सिविल एविएशन अथॉरिटी (सीएए) के डायरेक्टर जनरल को लिखे खत में राजा आसिफ इकबाल ने कहा कि महंगाई ने न सिर्फ गरीबों, बल्कि मिडिल क्लास की भी कमर तोड़ दी है.'

25 साल से सीएए में हैं इकबाल

इकबाल 25 वर्षों से सीएए में काम कर रहे हैं और अब इस्लामाबाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर काम करते हैं. खबर के अनुसार उन्होंने सीएए पार्किंग में एक गधा-गाड़ी लगाने की इजाजत मांगी है. कर्मचारी ने कहा, 'इस महंगाई में संगठन ने ट्रांसपोर्ट सुविधा बंद कर दी है. पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के कारण प्राइवेट व्हीकल का उपयोग करना असंभव हो गया है.' उन्होंने कहा, 'मुझे अपनी गधा-गाड़ी को एयरपोर्ट पर लाने की इजाजत दें.' हालांकि, सीएए के प्रवक्ता सैफुल्ला खान का कहना है कि हर कर्मचारी को ईंधन भत्ता दिया जाता है.

'कर्मचारियों को देते हैं पिक-ड्रॉप'

उन्होंने कहा, 'उन्हें (कर्मचारियों को) पिक-एंड-ड्रॉप सेवा दी जाती है. हवाई अड्डे पर कर्मचारियों के लिए एक मेट्रो बस सेवा भी उपलब्ध है.' खान ने कहा कि कर्मचारी का खत मीडिया स्टंट है. सरकार ने आखिरी बढ़ोतरी के एक हफ्ते बाद शुक्रवार को ईंधन की कीमतों में एक बार फिर बढ़ोतरी की. पेट्रोल अब 209.86 रुपये प्रति लीटर और डीजल 204.15 रुपये प्रति लीटर है.

वित्त मंत्री मिफ्ता इस्माइल ने कहा था कि पूर्ववर्ती इमरान खान के 'गलत फैसलों' के कारण देश को दिवालिया नहीं होने दे सकते, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय कीमतें बढ़ रही थीं और सरकार को पेट्रोलियम सब्सिडी पर प्रतिमाह लगभग 120-130 अरब रुपये का नुकसान हो रहा था.

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