India-China Relations: चीन जहां LAC से सटे अपने इलाकों में बॉर्डर डिफेंस विलेज नाम से नए-नए गांव बसा कर भारत से सटे सीमावर्ती इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है. वहीं चीन से सटे भारतीय गांव लंबे वक्त से उपेक्षा के शिकार रहे हैं लेकिन अब देश के बॉर्डर पर स्थित गांवों में भी मोदी सरकार के एक नए फैसले से चीन के विस्तारवादी साजिश पर लगाम लगने वाली है.
LAC के इलाकों में चीन बसा रहा नए-नए
भारत से सटे LAC के इलाकों में चीन नए-नए गांव बसा रहा है. पिछले साल सैटेलाइट पिक्चर से इस बात का खुलासा हुआ था. सैटेलाइट पिक्चर की मानें तो चीन ने अरुणाचल प्रदेश से सटे इलाकों में भी 100 घरों वाला एक नया गांव बसाया है. चीन खासतौर पर उन इलाकों में बॉर्डर के नजदीक नए-नए गांव बसा रहा है जहां पहले कभी आबादी नहीं हुआ करती थी. चीन का मानना है कि बॉर्डर पर स्थित रहने वाले गांव के लोग चीन के Eyes and Ear हैं. इसके ठीक उलट भारत के बॉर्डर के गांवों की स्थितियां बिल्कुल अलग हैं. लंबे वक्त से इन बॉर्डर के गांवों में बुनियादी सुविधाओं की कमी होने की वजह से ये गांव घोस्ट विलेज बन चुके हैं. बॉर्डर पर स्थित कई गांव के लोग अपने घरों को छोड़कर दूसरे जगहों पर जाने को मजबूर हुए हैं.
लद्दाख का चुशूल इसलिए है खास
लद्दाख का चुशूल गांव LAC पर पड़ने वाला आखिरी गांव है. इस गांव के लोगों के सामने पहाड़ जैसी मुसबीत है. ठंड में इन इलाकों का तापमान -40 डिग्री तक चला जाता है. हर तरफ बर्फीली हवाएं चलती हैं और बेहतर रोड कनेक्टिविटी न होने की वजह से गांव तक आना भी काफी मुश्किल होता है. आप इन इलाकों की चुनौतियों का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि इन इलाकों में अगर कोई आपसे मिलने आता है तो वो या तो आपका सबसे घनिष्ठ मित्र है या आपका सबसे बड़ा दुश्मन. साल 1962 में इसी चुशूल सेक्टर में चीन के खिलाफ एक बड़ी लड़ाई लड़ी गई थी. मेजर शैतान सिंह समते 120 जवानों ने चीनी घुसपैठ को विफल कर दिया था. रेजांग ला में बना वॉर मेमोरियल उसी लड़ाई की याद दिलाता है.
चुशूल गांव के लोगों में आज भी चीन के हमले की यादें ताजा हैं. चुशूल गांव के रहने वाले सोनम जो की उम्र उस समय महज 17 साल थी. उन्होंने गांव वालों को इकठ्ठा कर चीन के खिलाफ भारतीय सेना की बड़ी मदद की थी. सोनम जो बताते हैं कि चीन से मुकाबला करने वाले चुशूल गांव के लोगों की एक लंबे समय से मांग थी कि यहां भी वो सभी बुनियादी सुविधाएं मिले जो देश के दूसरे गांव के मिल रही हैं.
मोदी सरकार के स्कीम से मिलेगा फायदा
हाल ही में मोदी सरकार में सामरिक लिहाज से अहम फैसले में ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ को मंजूरी दी है. 4800 करोड़ रुपये खर्च कर बॉर्डर पर स्थित गांवों में सभी मौसमों के अनुकूल सड़क, पेयजल, 24 घंटे, सौर-पवन ऊर्जा पर केंद्रित बिजली आपूर्ति, मोबाइल, इंटरनेट कनेक्टिविटी, पर्यटक केंद्र, बहुद्देशीय सेंटर और वेलनेस सेंटर के विकास पर जोर दिया जाएगा, जिससे गांव के लोगों की जिंदगी आसान बनाई जा सके.
वाइब्रेट विलेज प्रोजेक्ट से आएगी रौनक
चुशूल गांव के लोग इस बात से खुश है की सरकार उनके गांव को वाइब्रेट विलेज प्रोजेक्ट के लिए चुनी है. गांव के लोग फिलहाल ITBP और भारतीय सेना पर पूरी तरफ निर्भर हैं. इस वक्त ITBP इस गांव में खास मेडिकल कैम्प लगाकर लोगों के स्वास्थ्य संबधी बीमारियों का उपचार कर रही है. ITBP सेना के साथ कंधे से कंधे मिलाकर बॉर्डर इलाकों पर पूरी तरह से नजर भी रखती है जिससे दुश्मन कोई साजिश न रच पाए. वाइब्रेंट विलेज प्रोजेक्ट से उम्मीद है की सुने पड़े गांवो में अब दोबारा रौनक आएगी.
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