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Pakistan Election: शहबाज और इमरान से ज्यादा ताकतवर हुआ यह नेता, बन सकता है पाकिस्तान का अगला प्रधानमंत्री

Pakistan Politics: पाकिस्तान आगामी आम चुनावों के माध्यम से राजनीतिक परिवर्तन की ओर बढ़ रहा है. सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार पर उसके 16 महीने के कार्यकाल के दौरान खराब प्रदर्शन का गंभीर बोझ है.

Pakistan Election: शहबाज और इमरान से ज्यादा ताकतवर हुआ यह नेता, बन सकता है पाकिस्तान का अगला प्रधानमंत्री
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Gunateet Ojha|Updated: Aug 12, 2023, 11:00 PM IST

Pakistan Politics: पाकिस्तान आगामी आम चुनावों के माध्यम से राजनीतिक परिवर्तन की ओर बढ़ रहा है. सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार पर उसके 16 महीने के कार्यकाल के दौरान खराब प्रदर्शन का गंभीर बोझ है. हालांकि, एक पार्टी जिसकी सरकार में रहते हुए राजनीतिक रणनीति और प्रदर्शन ने पाकिस्‍तान में उसके राजनीतिक भविष्य की राह आसान की है, वह पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) और उसके नेता तथा पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी हैं.

बिलावल ने सत्ता का पहला स्वाद देश के सबसे युवा विदेश मंत्री के रूप में उनकी नियुक्ति के साथ चखा. बिलावल और उनकी पार्टी के नेतृत्व ने विदेश मामलों और जलवायु परिवर्तन जैसे प्रासंगिक सरकारी मंत्रालयों पर मजबूत नियंत्रण रखा, जो वैश्विक व्यस्तताओं, कनेक्शनों, बैठकों और मुद्दों को संबोधित करने के दो मुख्य केंद्र हैं.

विदेश मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, बिलावल ने न केवल पाकिस्तान को विशेष रूप से पश्चिमी और यूरोपीय देशों के साथ हुई क्षति को नियंत्रित करने के प्रयास में व्यापक विदेश यात्राएं कीं, बल्कि देश की विदेश नीति का प्रतिनिधित्व करने के क्रम में वैश्विक शक्तियों के साथ संबंधों को फिर से स्थापित करने में समायोजन के लिए तैयार दिखे और अपनी बात व्यक्त करते हुए अपनी छवि भी बनाई.

पीपीपी ने अतीत से सिंध प्रांत के अपने सत्ता केंद्र पर मजबूत पकड़ बनाए रखी है और 16 महीनों के दौरान बलूचिस्तान में भी अपनी जड़ें मजबूत कर ली हैं. यह ऐसे समय में किया गया जब क्रमश: पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ की मजबूत पकड़ वाले पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा (केपी) राजनीतिक गिरावट का दौर था. नेशनल असेंबली में राजनीतिक प्रतिनिधित्व के मामले में देश का सबसे बड़ा प्रांत पंजाब दोनों पार्टियों के बीच युद्ध का मैदान बन गया था.

पंजाब में संघर्ष ने पीपीपी के लिए प्रांत में आगे बढ़ने के रास्ते खोल दिए क्योंकि पीटीआई से अलग हुए कई नेता पीपीपी में शामिल हो गए और उसके बैनर तले अगला चुनाव लड़ने की कसम खाई.
पीपीपी की स्मार्ट राजनीतिक रणनीतियों ने निश्चित रूप से उसे मौजूदा राजनीतिक अनिश्चितता में विजेता के रूप में सामने ला दिया है. उसे भविष्य की राजनीति के लिए अधिक उपयुक्त, भरोसेमंद और टिकाऊ राजनीतिक दल के रूप में देखा जा रहा है जिससे उसके नेता बिलावल भुट्टो के अगले प्रधानमंत्री बनने की संभावना बढ़ गई है.

राजनीतिक विश्लेषक वसीम शम्सी ने कहा, "पीपीपी अपनी राजनीति में बहुत चतुर रही है. इसने खुद को पीडीएम (पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट) के साथ जोड़े रखा है, फिर भी एक राजनीतिक ताकत के रूप में अपनी अलग पहचान बनाए रखी है. इसने टकराव की राजनीति से परहेज किया है और पीएमएलएन और पीटीआई द्वारा पैदा किए गए खाली जगह का पंजाब और केपी में अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए पूरा उपयोग किया है."

"बिलावल युवा विदेश मंत्री हैं, लेकिन उनका प्रदर्शन प्रभावशाली रहा है. उनकी गोवा यात्रा, अमेरिका में पाकिस्तान और अफगानिस्तान और ईरान के संबंध में उसकी स्थिति का बचाव करने वाले उनके बयान और विनाशकारी बाढ़ के दौरान उनका राजनयिक अभियान बहुत अच्छा रहा है."

पीपीपी नेता की घोटकी, सिंध की हालिया यात्रा, जहां उन्होंने बाढ़ से प्रभावित स्थानीय लोगों को ब्याज मुक्त ऋण और भूमि स्वामित्व अधिकार देने का वादा किया था, निश्चित रूप से जनता का समर्थन हासिल करने के मामले में सही रही और निस्‍संदेह प्रेरक शक्ति साबित होगी. यह कहना गलत नहीं होगा कि बिलावल देश का नेतृत्व करने के लिए अग्रणी दावेदारों में से एक बनने जा रहे हैं और उनकी पार्टी अगली गठबंधन सरकार बनाने वाली बन सकती है.

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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