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लाहौर HC ने दिया पाकिस्तानी सेना को झटका, अब पट्टे पर नहीं मिल पाएगी 45,000 एकड़ से ज्यादा जमीन

Pakistan News: पंजाब की कार्यवाहक सरकार ने पिछले महीने पंजाब प्रांत के तीन जिलों खुशाब, भाकर और साहीवाल में पाकिस्तानी सेना को पट्टे पर 45,266 एकड़ भूमि आवंटित की थी. पब्लिक इंटरेस्ट लॉ एसोसिएशन ने हाई कोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी थी. 

लाहौर HC ने दिया पाकिस्तानी सेना को झटका, अब पट्टे पर नहीं मिल पाएगी 45,000 एकड़ से ज्यादा जमीन
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Zee News Desk|Updated: Apr 01, 2023, 11:15 AM IST

Pakistan Punjab Province: लाहौर हाई कोर्ट ने शुक्रवार को पाकिस्तानी सेना को झटका देते हुए पंजाब प्रांत में फौज को 30 साल के पट्टे पर राज्य की 45,000 एकड़ से अधिक भूमि सौंपने पर रोक लगा दी. पंजाब की कार्यवाहक सरकार ने पिछले महीने पंजाब प्रांत के तीन जिलों खुशाब, भाकर और साहीवाल में पाकिस्तानी सेना को पट्टे पर 45,266 एकड़ भूमि आवंटित की थी.

सरकार ने 30 साल के पट्टे के लिए सेना को भूमि आवंटित करने के सिलसिले में सरकारी भूमि (पंजाब) अधिनियम 1912 की धारा 10 का हवाला दिया.

जनहित विधि प्राधिकरण ने दी फैसले को चुनौती
पाकिस्तान के पब्लिक इंटरेस्ट लॉ एसोसिएशन ने लाहौर उच्च न्यायालय (LHC) में इस फैसले को चुनौती दी, जिसमें कहा गया कि सरकार की अधिसूचना "अवैध थी क्योंकि कार्यवाहक सरकार के पास इसे मंजूरी देने की कोई शक्ति नहीं है."

एलएचसी के न्यायमूर्ति आबिद हुसैन चट्टा ने सरकार की अधिसूचना को निलंबित कर दिया और रक्षा मंत्रालय और पंजाब सरकार से 9 मई तक जवाब मांगा।

कानून के तहत, कार्यवाहक सरकार केवल प्रांत के दिन-प्रतिदिन के कार्य कर सकती है।

क्या कहा याचिकाकर्ता के वकील ने?
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उपनिवेश अधिनियम की धारा 10 के तहत शक्तियों का प्रयोग मोहसिन नकवी की कार्यवाहक सरकार द्वारा अनुमेय कार्रवाई की किसी भी श्रेणी में नहीं आता है। उन्होंने तर्क दिया कि राज्य की भूमि को सेना को सौंपना भी ‘सार्वजनिक विश्वास के सिद्धांत’ का उल्लंघन है।

याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया, ‘पाकिस्तान सेना अधिनियम, 1952 में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो सेना को कल्याण के उद्देश्यों के लिए अपनी संरचना से परे किसी भी गतिविधि को करने के लिए अधिकृत या सशक्त बनाता है, जब तक कि संघीय सरकार ने स्पष्ट रूप से ऐसा करने की अनुमति नहीं दी हो.’ उन्होंने तर्क दिया कि सेना के पास अपनी संरचना के बाहर किसी भी प्रकृति के ‘व्यावसायिक उपक्रम’ में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संलग्न होने का कोई अधिकार नहीं है.

(इनपुट - एजेंसी)

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