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Pakistan की अक्ल आई ठिकाने, शहबाज बोले- भारत से तीन युद्ध ने गरीबी ही दी, हम वार्ता को तैयार

Pakistan News: भारत के खिलाफ हमेशा साजिश रचने वाले पाकिस्तान को अपनी औकात समझ आ गई है. पाकिस्तान जानता है कि भारत से अकड़ दिखाने का नतीजा क्या होगा. खुद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ अब ये मान चुके हैं कि भारत से लड़ाई करने का नुकसान उनके ही देश को भुगतना पड़ेगा.

Pakistan की अक्ल आई ठिकाने, शहबाज बोले- भारत से तीन युद्ध ने गरीबी ही दी, हम वार्ता को तैयार
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Gunateet Ojha|Updated: Aug 01, 2023, 06:31 PM IST

Pakistan News: भारत के खिलाफ हमेशा साजिश रचने वाले पाकिस्तान को अपनी औकात समझ आ गई है. पाकिस्तान जानता है कि भारत से अकड़ दिखाने का नतीजा क्या होगा. खुद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ अब ये मान चुके हैं कि भारत से लड़ाई करने का नुकसान उनके ही देश को भुगतना पड़ेगा. एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शहबाज ने कहा कि भारत से तीन युद्ध लड़ने के बाद पाकिस्तान को गरीबी ही मिली है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर भारत तैयार है तो हम बातचीत कर सुलह के रास्ते पर आगे बढ़ सकते हैं.

पाकिस्तान वार्ता को तैयार

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने मंगलवार (1 अगस्त) को कहा कि अगर "पड़ोसी" भी ऐसा करता है तो इस्लामाबाद "गंभीर मामलों" पर बात करने और चर्चा करने को तैयार है. भारत के स्पष्ट संदर्भ में, शरीफ ने यह भी कहा कि "युद्ध अब कोई विकल्प नहीं है". इस्लामाबाद में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शरीफ ने भारत के साथ संबंधों पर बात की.

ढीले पड़े शहबाज के तेवर

शरीफ ने कहा, "हमारे मन में किसी के खिलाफ कुछ नहीं है, हमें अपना खुद का ख्याल रखना है और अपने देश का निर्माण करना है. यहां तक कि अपने पड़ोसी के साथ भी हम बात करने के लिए तैयार हैं, बशर्ते वे मामलों पर चर्चा करने में गंभीर हों."

भारत से युद्ध कर पाकिस्तान को गरीबी मिली

उन्होंने कहा, "युद्ध अब कोई विकल्प नहीं है. पाकिस्तान एक परमाणु शक्ति है - (ये क्षमताएं) हमलावर के रूप में नहीं बल्कि रक्षा उद्देश्यों के लिए हैं." शरीफ ने आगे कहा, 'हमने (भारत और पाकिस्तान) पिछले 75 वर्षों में तीन युद्ध लड़े हैं, जिससे अधिक गरीबी, बेरोजगारी और संसाधनों की कमी पैदा हुई है.'

युद्ध कोई विकल्प नहीं

उन्होंने कहा, "भगवान न करें अगर कोई परमाणु विस्फोट हुआ तो कौन बताएगा कि क्या हुआ? यह कोई विकल्प नहीं है." उन्होंने कहा, "लेकिन यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि हमारा पड़ोसी यह समझे कि जब तक असामान्यताओं को दूर नहीं किया जाता और गंभीर मुद्दों को शांतिपूर्ण और सार्थक चर्चा के माध्यम से संबोधित नहीं किया जाता, तब तक हम सामान्य नहीं हो सकते." 

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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