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DNA: बाइडेन-जिनपिंग के बीच बात कम 'भ्रमण' ज्यादा, दोनों ने हाथ तो मिलाए.. क्या दिल मिले?

DNA Analysis: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अमेरिकी राष्ट्रपति joe biden ने बुधवार को California में मुलाकात की. चीन और अमेरिका दोनों एक दुसरे को दुश्मन की तरह देखते है. इस मुलाकात का मुख्य मकसद भी दोनों के बीच तनाव को कम करना था.

DNA: बाइडेन-जिनपिंग के बीच बात कम 'भ्रमण' ज्यादा, दोनों ने हाथ तो मिलाए.. क्या दिल मिले?
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Gunateet Ojha|Updated: Nov 17, 2023, 01:06 AM IST

DNA Analysis: दो दोस्त मिलते हैं तो क्या होता है. आप कहेंगे मस्ती होती है, पुरानी यादें ताजा होती हैं, दोनों अपने Experiences Share करते हैं. जब दो दोस्त मिल बैठते हैं तो समा बंध जाता है. लेकिन आज हम दो दोस्तों की नहीं, बल्कि दो दुश्मनों की एक ऐसी मुलाकात का विश्लेषण करेंगे जिसमें दोनों एक दूसरे को अल्लू अर्जुन की तरह कह रहे हैं झुकेगा नहीं. आपने वर्ष 1975 में आई फिल्म शोले देखी होगी. जय और वीरू को देखा होगा. दोनों जिगरी दोस्त थे, दोनों की दोस्ती की मिसाल आजतक दी जाती है.

जिनपिंग बाइडेन की मुलाकात

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अमेरिकी राष्ट्रपति joe biden ने बुधवार को California में मुलाकात की. चीन और अमेरिका दोनों एक दुसरे को दुश्मन की तरह देखते है. इस मुलाकात का मुख्य मकसद भी दोनों के बीच तनाव को कम करना था. बाइडेन और जिनपिंग की मुलाकात APEC यानी Asia-Pacific Economic Cooperation Summit के दौरान हुई. दोनों नेता एक दूसरे से गर्मजोशी से मिले. एक साथ खड़े होकर कैमरों की चमकती फ्लैश के सामने हाथ हिलाया. बाइडेन और जिनपिंग दोनों बगीचे में साथ में टहलते भी दिखे. लेकिन मन में कुछ और था. जो बहुत जल्दी जुबान पर भी आ गया.

जिनपिंग को तानाशाह कह दिया

biden ने जिनपिंग को साफ संदेश दिया है कि अमेरिका ताइवान के साथ है तो जिनपिंग ने इसपर कहा कि हम taiwan को हर हाल में चीन में मिलाकर रहेंगे. biden ने Meeting में ताइवान के मुद्दे पर अपना रूख साफ करने की बात कही...जिसपर चीन ने react करते हुए अमेरिका को नसीहत दे दी कि अमेरिका ताइवान को हथियार ना दें. बात आगे बढ़ी तो मतभेद भी खुलकर सामने आए...biden ने Meeting में साफ किया कि दोनों देशों के तनाव को संघर्ष में नहीं बदलना चाहिए. जिसपर जिनपिंग ने react करते हुए जवाब दिया कि चीन, अमेरिका को पछाड़ना या उसकी जगह नहीं लेना चाहता. ताइवान मुद्दे पर बाइडेन ने यथास्थिति में विश्वास करने की बात रखी..जिसपर जिनपिंग ने कहा कि अमेरिका-चीन संबंधों के लिए ताइवान सबसे खतरनाक पहलू है. सोचिए, दुनिया की दो superpower के राष्ट्राध्यक्ष मिल रहे हैं, एक दूसरे से हाथ मिला रहे हैं, Meeting कर रहे हैं, लेकिन एक दूसरे को खुल्लम खुल्ला गली मुहल्ले की तरह धमका भी रहे हैं. दो ताकतवर देशों की मुलाकात के कुछ देर बात ही Biden ने जिनपिंग को तानाशाह कह दिया.

बगीचे में टहलने पहुंच गए

दुनिया को भी उम्मीद थी कि दोनों leader, दुनिया में चल रही जंग के बीच किसी ठोस निर्णय पर पहुंचेंगे. लेकिन बाइडेन और जिनपिंग बगीचे में टहलने पहुंच गए. बाइडेन ने जिनपिंग की पत्नी के जन्मदिन पर शुभकामनाएं दीं. दुनिया के दो सबसे ताकतवर देश मिलते हैं तो गर्मजोशी दिखती है, लेकिन बाइडेन और जिनपिंग की मुलाकात मजबूरी वाली मुलाकात बनकर रह गई. दोनों की body language भी बहुत साधारण थी, जिसे देखकर ऐसा लग रहा था जैसे दोनों दुश्मन कह रहे हो. मिलेंगे जरूर लेकिन झुकेंगे नहीं.

जब मिले बाइडेन-जिनपिंग

जिनपिंग कार से उतरे, बाइडेन ने रिसीव किया. फिर बाइडेन ने जिनपिंग के हाथ पर दूसरा हाथ रखकर जैसे ही हावी होने की कोशिश की. तो जिनपिंग ने अपने दूसरे हाथ से बाइडेन के हाथ को थपथपाकर बता दिया कि बस..ज्यादा मत उछलो. इसके बाद दोनों नेता रेड कार्पेट पर चलकर पोज देने लगे तो उनके बीच की दूरी बता रही थी कि दोनों के बीच कितनी दूरियां हैं. जिनपिंग और बाइडेन दोनों मुस्कुरा रहे थे. लेकिन साफ नजर आ रहा था कि मुस्कानें झूठी हैं. मुलाकात की शुरुआत भी उतनी ही ठंडी थी, जितनी दोनों देशों के रिश्ते में है. ना एक दूसरे से कुछ पूछा..ना एक दूसरे से कुछ बोले. दरवाजे के अंदर बाइडेन और जिनपिंग बातचीत की टेबल पर बैठे तो दोनों के बीच की दूरियां साफ नजर आ गईं. बाइडेन और शी..सीधे एक दूसरे के ठीक सामने नहीं बैठे थे. जब बाइडेन बोल रहे थे तो जिनपिंग उनकी तरफ देखने में भी हिचकिचा रहे थे. बाइडेन बोले जा रहे थे, जिनपिंग के चेहरे पर ना कोई भाव नहीं आ जा रहे थे. जिनपिंग और बाइडेन दोनों को पहले से ही पता था कि इस मुलाकात से कुछ होना-जाना है नहीं.

सिर्फ दुनिया के सामने दिखावा

टेबल टॉक खत्म हुई तो दोनों नेता जिस तरह से बगीचे में घूम रहे थे. साफ नजर आ रहा था कि सिर्फ दुनिया के सामने दिखावा किया जा रहा है. जिनपिंग का पूरा ध्यान बाइडेन से उचित दूरी बनाए रखने पर था. और बाइडेन का पूरा ध्यान मीडिया के सवालों से दूरी बनाए रखने पर था. दोनों नेताओं के बीच सबसे ज्यादा बातचीत तब हुई जब दोनों की मुलाकात खत्म होने को आई. ऐसा लग रहा था कि पूरी मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं को सबसे ज्यादा खुशी एक दूसरे को बाय बोलते हुए ही हो रही थी. और यही वो पल था.. जब दोनों नेताओं के बीच सबसे ज्यादा बातचीत भी हुई. इस तरह दोनों देशों के रिश्तों पर बेकार की बात और एक-दूसरे से कार की बात के साथ ये मुलाकात खत्म हुई.

बाइडेन-जिनपिंग मीटिंग की टाइमिंग..

दुनिया के दो ताकतवर देशों के प्रमुख जब आमने-सामने होते हैं तो उनकी Meeting पर निगाहें सिर्फ अमेरिका और चीन में रहने वाले लोगों की नहीं होती, बल्कि पूरी दुनिया की नज़र इसपर टिकी होती है. वैसे यहां गौर करने वाली एक बात और है. और वो है बाइडेन और जिनपिंग की मीटिंग की Timing. California में ये बैठक ऐसे वक्त में हुई है, जब दुनिया में दो जगह जंग चल रही है. इजरायल और हमास युद्ध लड़ रहे हैं. इजरायल ने हमास का खात्मा करने की कसम खाई है. दूसरा मोर्चा रूस और यूक्रेन के बीच खुला हुआ है. दोनों देशों की जंग को डेढ़ साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है. इसके अलावा एक और चीज बेहद अहम है और वो है इस मुलाकात के समय चीन और पाकिस्तान के बीच उत्तरी अरब सागर में सबसे बड़ा WAR EXERCISE शुरू करना. यानि एक तरफ चीन बातचीत की टेबल पर है और दूसरी तरफ चीन अपनी युद्ध की तैयारियों को परख रहा है.

दुश्मनी का चैप्टर ओपेन..

खास बात ये है कि इजरायल-हमास की जंग और Russia-Ukraine की जंग में अमेरिका और चीन अलग अलग देश को अपना समर्थन दे रहे है. यानि दुनिया की दो महाशक्तियां शांति की बात तो करती है, लेकिन जब जिम्मेदारी निभाने का समय आता है. तब दोनों के बीच दुश्मनी का chapter open हो जाता है. हाल के समय में चीन और अमेरिका के बीच तनाव काफी बढ़ा है, चीन, दुनिया का सबसे ताकतवर देश बनने का सपना देख रहा है. लेकिन अमेरिका किसी भी कीमत पर ऐसा होने नहीं देना चाहता. अमेरिका भी चीन को अपनी हद में रहने के लिए कई बार धमका चुका है. धमकी देने का ये सिलसिला अब इतना आम हो गया है कि अब राष्ट्राध्यक्षों की मीटिंग में भी दोनों एक दूसरे को खुल्लम खुल्ला धमका रहे हैं. अमेरिका और चीन के बीच तनाव के कई बिंदु है जिनकी वजह से दोनों देशों में tension high है.

चीन-अमेरिका अलग-अलग

इनमें पहला मुद्दा ताइवान है. जिसको लेकर दोनों खुलकर एक दूसरे को धमकी देते है. अमेरिका ताइवान को मदद देने की बात कह रहा है और चीन ताइवान को अपना बता रहा है.  दूसरा मुद्दा रूस और यूक्रेन की जंग है. जिसमें अमेरिका यूक्रेन के साथ है और चीन रूस के साथ खड़ा है. तीसरा मुद्दा दक्षिणी चीन सागर का है. दक्षिणी चीन सागर को चीन अपना बताता है, दक्षिणी चीन सागर में चीन ने कई कृत्रिम द्वीप भी बना लिए है. लेकिन अमेरिका चीन को इससे दूर रहने की वॉर्निंग देता रहा है. दुनिया इस वक्त दो front में बंटी हुई है. nato समेत कुछ देश अमेरिका का समर्थन करते है तो ईरान और रूस जैसे शक्तिशाली देश चीन का समर्थन करते है. इसी वर्ष ईरान के President Ibrahim Raisi ने चीन का दौरा किया था.

बात कम और धमकी ज्यादा

बीते दो दशक में चीन जाने वाले रईसी पहले ईरानी राष्ट्रपति थे. रईसी के इस दौरे के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ईरान के साथ अपना समर्थन व्यक्त किया और वैश्विक मामलों में अमेरिका के प्रभुत्व की आलोचना की थी. रईसी के चीन दौरे को अमेरिका ने दुनिया के लिए खतरा बताया था. अब आप सोचिए, जब चीन और अमेरिका की वजह से दुनिया दो हिस्सों में बंटी हुई है, तो क्या बाइडेन और जिनपिंग की इस मीटिंग से कोई समाधान निकलने की उम्मीद की सकता है? वो भी उस मीटिंग से जिसमें बात कम और धमकी ज्यादा दी जा रही हो.

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