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India China Tension: उत्तराखंड पर चीन की 'काली नजर', सीमा पर तेजी से सैन्य ठिकाने बना रहा 'ड्रैगन': मीडिया रिपोर्ट्स

India China Dorder Dispute: चीन उत्तराखंड से सटे अपने इलाकों में तेजी से निर्माण कार्य कर रहा है, कई रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इन ठिकानों को सैन्य कार्रवाई के लिहाज से विकसित किया जा रहा है.

फाइल फोटो
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Govinda Prajapati|Updated: Jun 07, 2023, 06:05 PM IST

India China Border: क्षेत्रफल की दृष्टि से चीन दुनिया के टॉप 5 देशों में शामिल है लेकिन फिर भी वह दिन-रात अपनी सीमा के विस्तार के बारे में सोचता रहता है. इसके अलावा भारत और अपने पड़ोसी मुल्कों की सीमा से लगे राज्यों पर अपना दावा पेश करते रहता है. लद्दाख में चीन और भारतीय सेना के झड़पों के बाद से दोनों देशों में टेंशन बरकरार है. 18वें दौर की उच्च स्तरीय बैठक होने के बावजूद भी हालात पहले की तरह सामान्य नहीं हुए. आपको जानकर हैरानी होगी कि अब चीन उत्तराखंड से सटे अपने इलाकों में तेजी से निर्माण कार्य कर रहा है, कई विशेषज्ञों का मानना है कि इन ठिकानों को सैन्य कार्रवाई के लिहाज से विकसित किया जा रहा है.

चीन की शरारत कब होगी खत्म

कई मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का दावा किया गया है कि भारत के राज्य उत्तराखंड से लगी सीमाओं के अपने क्षेत्रों में चीन तेजी से सैन्य गांव बसा रहा है. भारतीय सीमा सुरक्षा के लिहाज से यह बिलकुल अच्छा नहीं है. रक्षा सूत्रों का कहना है कि जिन इलाकों का निर्माण चीन द्वारा किया जा रहा है, वहां पर माइग्रेशन न के बराबर है यानी ड्रैगेन की मंशा इसे सैन्य योजनाओं के लिए इस्तेमाल करने की है. कई मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का दावा किया है कि चीन पहले करीब 63 बार बाड़ाहोती एलएसी क्षेत्र में घुसपैठ कर चुका है. सूत्रों की मानें तो पिछले 10 साल में चीन की बाड़ाहोती क्षेत्र में कई बार घुसपैठ के प्रयास कर चुका है.

इन क्षेत्रों पर करता है दावा

चीन खुले तौर पर अरुणाचल प्रेदश और इससे लगे कई इलाकों पर अपना दावा पेश करता है. इस पर भारत सरकार अपना कड़ा विरोध जता चुकी है. अब चीन की इस विस्तारवादी नीति पर लगाम लगाने के लिए भारत सरकार ने एक प्रोजेक्ट शुरू किया है जिसके तहत चीन से सटे सीमावर्ती इलाकों और गांवों में इंफ्रास्ट्रक्टर को डेवलप करने पर जोर है जिससे पलायन को कम किया जा सके और बुनियादी ढ़ांचे का विकास हो सके. इस प्रोजेक्ट को वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम नाम दिया गया है जिसकी कुल लागत करीब 4800 करोड़ है.

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