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Nanjing Massacre: 85 साल पहले चीन के नानजिंग में जापान ने मचाया था कत्लेआम, कांप उठा था ड्रैगन

China Taiwan Crisis: दिसंबर 1937 में तत्कालीन चीन की राजधानी नानजिंग शहर पर जापान ने हमला किया. यहां जापानी सेना ने 4 महीने तक खूब कत्लेआम मचाया. बताया जाता है कि इस दौरान जापानी सेना ने यहां करीब 3 लाख लोगों की हत्या की और करीब 80 हजार चीनी महिलाओं से रेप किया.

नानजिंग नरसंहार
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Updated: Aug 07, 2022, 12:03 AM IST

China Taiwan Conflict: ताइवान को लेकर चीन के आक्रमक रुख की वजह से पूरी दुनिया की नजर इन दिनों ड्रैगन पर ही है. अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद चीन ने अमेरिका औऱ ताइवान दोनों को ही बुरे अंजाम भुगतने की धमकी दी थी. वह जापान को भी इस मामले को लेकर लगातार आंखें दिखा रहा है. चीन और जापान की दुश्मनी नई नहीं है. चीन और जापान पिछले 1500 साल से एक-दूसरे के दुश्मन रहे हैं और जापान कई बार चीन को मात दे चुका है. यही नहीं जापान चीन में अब तक के इतिहास में सबसे बड़ा कत्लेआम भी कर चुका है. दुनिया इसे नानजिंग नरसंहार के नाम से जानती है. आइए इस पर करते हैं विस्तार से बात.

जापान ने नानजिंग में 3 लाख चीनियों का किया नरसंहार

यह बात है द्वितीय विश्व युद्ध से पहले की. वर्ष 1931 में जापान की सेना ने चीन के मंचूरिया पर धावा बोल दिया. इस युद्ध में चीन को हार का सामना करना पड़ा और और उसके हाथ से मंचूरिया का बड़ा हिस्सा निकल गया. जापान ने इस पर कब्जा जमा लिया. यहां जीत दर्ज करने के बाद जापान ने दिसंबर 1937 में तत्कालीन चीन की राजधानी नानजिंग शहर पर धावा बोल दिया. यहां जापानी सेना ने जो उसे दुनिया अब तक नहीं भूल पाई है. नानजिंग में जापानी सेना ने 4 महीने तक खूब कत्लेआम मचाया. बताया जाता है कि इस दौरान जापानी सेना ने नानजिंग में करीब 3 लाख लोगों की हत्या की और करीब 80 हजार चीनी महिलाओं से रेप किया. मरने वालों में अधिकतर बच्चे और महिलाएं थीं. यही नहीं कई रिपोर्ट में कहा गया है कि जापानी सेना लोगों को डराने के लिए चीनी लोगों के मांस को पकाकर खाते थे.

1875 से शुरू हुई थी दोनों के बीच दुश्मनी

वर्ष 1875 में जापान का एक व्यापारिक जहाज कोरिया पहुंचा था, लेकिन चीन के कहने पर कोरिया ने इस जहाज पर फायरिंग की. इस घटना के बाद से जापान में चीन और कोरिया से बदला लेने की मांग उठी, लेकिन जापान ने शांति से काम लिया. जापान ने अपना एक प्रतिनिधिमंडल कोरिया भेजा. 1876 में दोनों देशों के बीच सबकुछ ठीक हो गया. 1891 में रूस ट्रांस साइबेरियन रेलवे बनाने को लेकर दक्षिण कोरिया में घुसा. वह यहां अपना सैन्य अड्डा बनाना चाहता था. रूस की एंट्री से कोरिया में 1894 में विद्रोह हुआ. कोरियाई सेना विद्रोह को दबाने में फेल साबित हुई. इसके बाद उसने चीन से सैन्य मदद ली, लेकिन चीनी सैनिकों को देखकर जापान आगबबूला हो गया और उसने चीन को सबक सिखाने के लिए अपने 7000 सैनिक वहां भेज दिए.

1894 में दोनों के बीच हुआ पहला युद्ध

कोरिया पर चीन की एंट्री की वजह से जापान और चीन के बीच पहला युद्ध शुरू हुआ. यह युद्ध 1894-95 में शुरू हुआ था. इसमें चीनी सेना को हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद जापान का कोरिया, मंचूरिया और ताइवान पर कब्जा हो गया. युद्ध खत्म होने के बाद 17 अप्रैल 1895 में चीन और जापान के बीच शिमोनोस्की की संधि हुई थी.

दूसरा युद्ध चला काफी लंबा

दोनों देशों के बीच दूसरा युद्ध 1937 से 1945 के बीच हुआ था. इस युद्ध में जापान ने चीन को कई तरह से नुकसान पहुंचाया. 1945 में जब अमेरिका ने जापान के दो शहरों पर परमाणु बम गिराया और जापान ने सरेंडर कर दिया तब यह युद्ध खत्म हुआ. जापान के सरेंडर की वजह से नानजिंग और ताइवान फिर से चीन को वापस मिल गए. 

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