China Monopoly in Hong Kong: चीन में लोगों को किस तरह की स्वतंत्रा मिली हुई है यह बात दुनिया से छिपी नहीं है. चीन सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के नाम पर लोगों का किस तरह दमन करती है, इसके कई उदाहरण सामने आ चुके हैं. अब हॉन्ग कॉन्ग से ऐसा ही एक मामला सामने आया है. यहां गुरुवार को चीनी अदालत ने सुनवाई के दौरान ताली बजाने और न्यायधीश की आलोचना करने पर हॉन्ग कॉन्ग के दो निवासियों को देशद्रोह का दोषी करार दिया.
जिन दो नागरिकों को ये सजा मिली है, उन्हें तियानमेन चौक नरसंहार की बरसी मनाने पर रोक के बावजूद कार्यक्रम आयोजित करने के मामले में अरेस्ट किया गया था. पादरी गैरी पांग मून युन और गृहणी चियू मेई यिंग को इसी साल जनवरी में कोर्ट की सुनवाई को बाधित करने के मामले में अप्रैल में गिरफ्तार किया गया था. जनवरी की सुनवाई के दौरान तियानमेन चौक नरसंहार की बरसी मनाने वाले समूह के नेता को दूसरे लोगों को भड़काने के मामले में सजा सुनाई गई थी.
यह तर्क देकर दे रहा सजा
हॉन्ग कॉन्ग में वर्ष 2019 के दौरान बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन होने लगा था. इसके बाद चीन ने वर्ष 2020 में यहां विवादित राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू कर दिया. इस कानून के आने के बाद से यहां खूब राजनीतिक कार्रवाई हो रही है और लोकतंत्र समर्थक समूह के कई प्रमुख कार्यकर्ताओं को जेल भेजा जा रहा है.
मानवाधिकारों को पूरी तरह कुचला जा रहा
यही नहीं चीन हॉन्ग कॉन्ग में उपनिवेश काल के देशद्रोह कानून के तहत भी कार्रवाई कर रहा है. इसी कड़ी में पांग और चियू के खिलाफ अदालत की अवमानना के बजाय देशद्रोह का मुकदमा चलाया गया. चीनी सरकार इस कानून के बहाने से हॉन्ग कॉन्ग के लोगों के मानवाधिकारों को पूरी तरह कुचल रही है. अगर किसी के घर पर पीला झंडा दिखता है तो मकान मालिक के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज हो जाता है.
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