trendingNow11558419
Hindi News >>जरा हटके
Advertisement

Sabudana: व्रत वाला साबूदाना पेड़ पर उगता है या जमीन के अंदर, कभी सोचा है आपने कि ये कैसे बनता है?

Sabudana: भारत में ज्यादातर त्योहारों के दौरान व्रत रखने की प्रथा है. जिस दौरान लोग साबूदाना का सेवन करना पसंद करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि लोग साबूदाना क्यों खाते हैं? क्योंकि व्रत के दौरान वे इसे शुद्ध मानते हैं. साबूदाना लगभग हर भारतीय रसोई में पाया जाने वाला एक फलाहार है.

Sabudana: व्रत वाला साबूदाना पेड़ पर उगता है या जमीन के अंदर, कभी सोचा है आपने कि ये कैसे बनता है?
Stop
Gunateet Ojha|Updated: Feb 04, 2023, 10:41 PM IST

Sabudana: भारत में ज्यादातर त्योहारों के दौरान व्रत रखने की प्रथा है. जिस दौरान लोग साबूदाना का सेवन करना पसंद करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि लोग साबूदाना क्यों खाते हैं? क्योंकि व्रत के दौरान वे इसे शुद्ध मानते हैं. साबूदाना लगभग हर भारतीय रसोई में पाया जाने वाला एक फलाहार है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसे कैसे बनाया जाता है? साबूदाना बनाने के पीछे एक लंबा प्रॉसेस है जिसपर आपको यकीन नहीं होगा. इसे एक पेड़ से निकाला जाता है, जिसे बहुत जल्दी उगाया जा सकता है. हालाँकि यह शुरुआत में अफ्रीका में पाया जाता था, लेकिन अब इसकी खेती हर जगह की जाती है.

साबूदाना दक्षिण अफ्रीका और भारत सहित कई दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में पाए जाने वाले ताड़ के पेड़ के स्टार्च से बनाया जाता है. इसे टैपिओका से बनाया जाता है, जिसे कसावा रूट भी कहा जाता है. यह भारत और पुर्तगाल, दक्षिण अमेरिका और वेस्ट इंडीज आदि में बहुत प्रसिद्ध है. साबूदाना इन पेड़ों के स्टार्च से बनता है और इसे सफेद दाने का रूप दिया जाता है. साबूदाना का आकार उस पेड़ पर निर्भर करेगा जो स्टार्च को निकालता है और जिस तरह से इसे संसाधित किया जाता है.

स्टार्च से साबूदाना कैसे बनता है?

पहले साबूदाना बनाने की प्रक्रिया में कई महीने लग जाते थे. हालाँकि, मशीनों की मदद से इस प्रक्रिया को कुछ दिनों में ही समेट दिया गया है.

सबसे पहले, कंदों को मशीनों में धोया जाता है और फिर उनकी ऊपरी सतह को हटा दिया जाता है. साबूदाना की कई फैक्ट्रियों में यह प्रक्रिया हाथ से की जाती है.

फिर कंदों को कुचला जाता है क्योंकि उसके बाद ही उनका रस निकलता है और कुछ दिनों के लिए संग्रहीत किया जाता है.

इसके भंडारण का परिणाम यह होता है कि भारी स्टार्च नीचे रह जाता है और पानी ऊपर की ओर चढ़ जाता है.

पानी निकालकर स्टार्च एकत्र किया जाता है.

(इस वीडियो को NAMASTE INDIA ने फेसबुक पर शेयर किया है)

फिर इस स्टार्च को प्रोसेस करने के लिए एक मशीन में डाला जाता है और छलनी जैसे छेद वाली यह मशीन इस स्टार्च को साबूदाने में बदल देती है.

ये मोती जैसे दाने अभी भी खुरदरे हैं और ग्लूकोज और अन्य स्टार्च से बने पाउडर से पॉलिश किए जाते हैं.

पॉलिश करने के बाद इन्हें पैक किया जाता है और फिर इन साबूदाना को बाजार में बिक्री के लिए भेज दिया जाता है.

क्योंकि इसमें बहुत सारा स्टार्च होता है, इसका उपयोग कई व्यंजनों में किया जा सकता है लेकिन इसे आमतौर पर 'स्वस्थ' नहीं माना जाता है. साबूदाना में उच्च स्टार्च व्रत के दौरान एनर्जी देता है.

भारत की पहली पसंद ZeeHindi.com - अब किसी और की ज़रूरत नहीं

Read More
{}{}