trendingNow11928709
Hindi News >>जरा हटके
Advertisement

श्रीलंका ही नहीं भारत में आज भी हैं 'रावण के वंशज'! दशहरा पर दहन नहीं बल्कि होती है पूजा

Dussehra In India: एक ऐसा कस्बा है जहां रावण के वंशज निवास करते हैं. सतना के कोठी में विजय दशमी पर रावण का दहन नहीं बल्कि पूजा की जाती है. यह सिलसिला सालों पूर्व से चला आ रहा है. कोठी थाना परिसर में रावण की विशाल प्रतिमा भी बनी है.

श्रीलंका ही नहीं भारत में आज भी हैं 'रावण के वंशज'! दशहरा पर दहन नहीं बल्कि होती है पूजा
Stop
Zee News Desk|Updated: Oct 24, 2023, 01:43 PM IST

Ravan Descendant In India: सतना में एक ऐसा कस्बा है जहां रावण के वंशज निवास करते हैं. सतना के कोठी में विजय दशमी पर रावण का दहन नहीं बल्कि पूजा की जाती है. यह सिलसिला सालों पूर्व से चला आ रहा है. कोठी थाना परिसर में रावण की विशाल प्रतिमा भी बनी है. विजयदशमी के मौके पर देशभर में जहां रावण के पुतले जलाए जाते हैं, वहीं कोठी कस्बे में रावण को जलाया नहीं जाता बल्कि उसकी पूजा की जाती है. विजयादशमी के मौके पर रावण की पूजा एक दो साल से नहीं बल्कि पीढ़ियों से एक परिवार करता आ रहा है.

जय लंकेश और हर-हर महादेव का होता है उद्घोष

पंडित रमेश ने बताया कि रनेही हाउस बस स्टैंड से ढोल-नगाड़ों की धुन पर जय लंकेश और हर-हर महादेव उद्घोष करते हुए डेढ़ से दौ सौ लोग पुलिस थाना परिसर पहुंचते हैं. वहां पर रावण की प्रतिमा स्थापित है. सबसे पहले रावण की प्रतिमा को स्नान कराया जाता है. जनेऊ अर्पित की जाती है. शुद्ध देशी घी के जले दीपक से रावण की आरती की जाती है. फिर प्रसाद चढ़ाकर श्रद्धालुओं को वितरण किया जाता है. पं. रमेश मिश्रा बताते हैं कि मैं दशहरे के दिन चालीस साल से लगातार रावण की पूजा कर रहा हूं.

दादा-परदादा हर साल करते आ रहे हैं रावण की पूजा

पंडित रमेश ने यह भी बताया कि मेरे दादा पंडित श्यामराम मिश्रा राजदरबार के पुजारी थे. वे भी हर साल रावण की पूजा करते थे. पूर्वजों का कहना था कि रावण गौतम ऋषि के नाती और विश्वश्रवा के पुत्र थे. हमारा कुल गोत्र भी गौतम है. हम रावण के वंशज हैं. रावण महादेव के अनन्य भक्त, विद्वान, त्रिकालदर्शी थे. रावण ने ही भगवान महादेव को प्रसन्न करने के लिए शिव तांडव स्त्रोत की रचना की थी. इस वजह से हमारी पीढ़ियां रावण की पूजा करती आ रही हैं.

रिपोर्ट: संजय लोहानी

Read More
{}{}