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Digital Detox: यहां रोज 90 मिनट तक कोई भी नहीं छू सकता अपना मोबाइल फोन, हैरान कर देगी वजह

Sangli News: महाराष्ट्र (Maharashtra) का एक गांव सुर्खियों में है. यहां कुछ ऐसा होता है, जिस पर यकीन करना तो मुश्किल है पर है वो एकदम सच. दरअसल यहां शाम के 7 बजे एक सायरन बजता है. जिसकी आवाज सुनते ही लोग अपने मोबाइल फोन, टेलीविजन सेट और दूसरे गैजेट्स को फौरन बंद कर लेते हैं.

Digital Detox: यहां रोज 90 मिनट तक कोई भी नहीं छू सकता अपना मोबाइल फोन, हैरान कर देगी वजह
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Zee News Desk|Updated: Sep 25, 2022, 02:30 PM IST

Digital Detox Village: महाराष्ट्र के सांगली जिले स्थित मोहित्यांचे वडगांव गांव ने अपने लोगों को इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स और सोशल मीडिया की लत से होने वाली बीमारियों से बचाने का नायाब तरीका निकाला है. कुछ लोगों की मुहिम से शुरू हुआ डिजिटल डिटॉक्सिंग प्रोग्राम गांव के घर-घर में बेहद लोकप्रिय है, जिसका पालन पूरी कड़ाई के साथ होता है.

मंदिर से बजता है सायरन

करीब 3200 की आबादी वाले गांव के मंदिर से हर शाम को 7 बजे एक सायरन बजता है. जो इस बात का संकेत देता है कि सभी लोग फौरन अपने मोबाइल फोन, टीवी और अन्य गैजेट्स का इस्तेमाल बंद करके रख दें. आपको बताते चलें कि मोबाइल और टीवी बंद करने का यह प्रस्ताव गांव के सरपंच विजय मोहिते ने रखा था. जिसे लोगों ने हाथोंहाथ लेते हुए अपनी इस उपलब्धि को इंटरनेट की दुनिया में मशहूर कर दिया. जिसका असर ये है कि मंदिर से शाम 7 बजे सायरन बजते ही लोग अपने सारे इलेक्ट्रानिक गैजेट्स बंद कर लेते हैं.

क्या होता है इस 90 मिनट में?

इस दौरान यहां के लोग किताबें पढ़ते हैं. या फिर सामूहित मेलमिलाप करते हैं. यानी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे किताबों में जुट जाते हैं. वहीं बहुत सारे लोग एक दूसरे के साथ आमने-सामने बैठ कर बातें करते हैं. इस समय समूह में बैठे लोग एक दूसरे को अपने दिल का हाल बताते हैं. इस मीटिंग के जरिए लोगों का सुख-दुख भी बांट लिया जाता है. इस मुहिम के 90 मिनट यानी ठीक डेढ़ घंटे बाद बीतते ही रात को 8.30 बजे दूसरा सायरन बजता है. इसके बाद लोग यहां के लोग अपनी इच्छा से अपने माबाइल और टीवी को ऑन कर लेते हैं. कहीं कोई इस नियम को तोड़ तो नहीं रहा है इसकी निगरानी के लिए एक वार्ड समिति का गठन भी किया गया है.

इस तरह फैली जागरूकता

इस गांव के सरपंच मोहिते ने कहा, 'स्वतंत्रता दिवस पर, हमने महिलाओं की एक ग्राम सभा बुलाई. और एक सायरन खरीदने का फैसला किया. फिर आशा कार्यकर्ता, आंगनवाड़ी सेविका, ग्राम पंचायत कर्मचारी, सेवानिवृत्त शिक्षक डिजिटल डिटॉक्स के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए घर-घर गए. इसके बाद पूरा गांव इस मुहिम से जुड़ गया.’

(इनपुट: PTI)

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